हीन भावना के कारण असफल तो नहीं आप ?
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मनुष्य की भावना ,उसका व्यक्तित्व ,खुद को व्यक्त करने का तरीका ,व्यक्तिगत सोच ,उसकी सफलता असफलता में मुख्य कारक होता है |कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कम योग्य होते हुए भी खुद को अच्छे तरीके से व्यक्त कर पाते हैं ,साहसी होते हैं ,अवसरों का अधिक लाभ उठा पाते हैं ,किसी का भी सामना करने ,बात चीत करने को तैयार रहते हैं इसलिए अधिक सफल भी हो जाते हैं |जबकि कुछ लोग अधिक योग्य होते हए भी खुद को व्यक्त नहीं कर पाते ,खुद को साबित नहीं कर पाते ,किसी के सामने जाने में ,वार्तालाप में घबराते हैं ,हिचकते हैं ,किसी के सामने पड़ने पर जो जानते हैं वह भी नहीं बता पाते ,अपने को कमतर मानते हुए अवसरों को छोड़ देते हैं और असफल रह जाते हैं |
कुछ लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं ,एकांत में अकेले में उनकी समस्त बुद्धि ,योग्यता ,क्षमता काम करती है |अपने परिवार और मित्रों के बीच बहुत वाकपटु होते हैं ,अच्छा बहस भी कर लेते हैं ,परीक्षा में अच्छे नमबर भी लाते हैं किन्तु नौकरी ,आजीविका ,व्यवसाय में असफल या कम सफल हो जाते हैं |उनसे कम बुद्धिमान ,कम क्षमता वाला आगे निकल जाता है और वह पीछे रह जाते हैं |इसक कारण उनकी हीन भावना होती है |जब प्रतियोगिता ,सामने वार्तालाप की बारी आती है तो उन्हें अपनी क्षमता कम लगती है ,किसी को फेस करने में मानसिक दबाव में आ जाते हैं |अधिक प्रतियोगी देखकर या कई लोगों के सामने इंटरव्यू देते समय उन्हें लगता है उनका तो चयन होने से रहा ,इतने अधिक लोग प्रतियोगी हैं ,इतने बड़े बड़े डिग्री धारी हैं ,इतने बड़े बड़े सोर्स वाले हैं ,इतने धनवान ,उच्च वर्गीय लोग हैं ,इतने अच्छे विद्यालयों -कालेजों से पढ़े लोग हैं ,इनके सामने हमारी क्या बिसात ,हमारा तो चयन मुश्किल है |यह हीन भावना है |इस भावना के आते ही जो उन्हें आता रहता है ,जो उनकी योग्यता ,क्षमता है वह भी कम हो जाती है |कुछ भूल जाते है तो कुछ किसी के सामने पड़ने पर हकलाने लगते हैं |
हम आपको अवचेतन की कार्यप्रणाली बताते हैं जो की अक्षरशः आपके जीवन पर सत्य उतरती है |यदि आप बार बार दोहराते रहें की यह काम आपसे नहीं होगा ,आपकी क्षमता से बाहर है तो कुछ दिनों में आपका अवचेतन यह मान लेगा की सचमुच आपने वह क्षमता नहीं है ,,जबकि सच्चाई यह होती है की आपमें वह योग्यता होती है किन्तु अपनी हीन भावना के कारण ,अपने को कमजोर मानने के कारण ,साहस की कमी के कारण ,परिस्थितितियों से घबराने के कारन आप खुद को कमतर मानते हैं और सोचते हैं की आपसे वह काम नहीं होगा |अवचेतन में बैठने पर जब कुछ उस प्रकार की परिस्थिति आएगी तो अवचेतन आपको कोई सलाह नहीं देगा या अचनत आपके मन में आयेगा की यह काम मुझसे नहीं होगा ,परिणाम यह होगा की जो आपको यद् होगा वह भी अवचेतन नहं बताएगा ,खुद की जानकारी तो नहीं ही देगा |जबकि अगर अवचेतन चाहे तो आपको आपके सैकड़ो जन्मो की जानकारी उपलब्ध करा सकता है और हर स्थिति में बेहतरीन सलाह दे सकता है आपको सफल बना सकता है |इस तरह यह हीन भावना ,खुद को कमतर मानने की भावना आपकी सफलता उन्नति को रोक देती है |
आपको किसी भी तरह के पद ,नौकरी ,व्यवसायिक गतिविधि के लिए वैसी सोच उत्पन्न करनी होती है |मैनेजर की परीक्षा खुद को मैनेजर मानकर देने पर ही सफल होगी ,,आई ए एस की परीक्षा खुद को आई ए एस मानकर देने पर ही सफल होगी ,मजदूर मानकर परीक्षा देने पर आपकी मानसिकता अधिकारी जैसी नहीं होगी अतः आप सफल नहीं होंगे |किसी को सूटेड बूटेड देखकर ,किसी की बड़ी गाडी ,अच्छे कपडे ,बड़ा पद देखकर आप दबाव में आये तो उसके सामने आपकी आवाज नहीं निकलेगी और जो आपकी योग्यता है वह सामने न आने से आप असफल होन्गे |आप पहले से एक निश्चित स्थिति में हैं ,इससे तो कोई और नीचे ले नहीं जाएगा ,फिर क्यों आप हीन भावना से ग्रस्त होते हैं ,क्यों खुद को कमजोर मानते हैं |क्यों न आप यह सोचें की जो होगा देखा जाएगा ,कोई आपको और तो नहीं ही गिरा देगा ,यहाँ नहीं तो कहीं और सही ,अगर आपमें क्षमता है तो सफलता जरुर मिलेगी |कोई बड़ा अधिकारी ,सूटेड बूटेड ,बड़ी ,गाडी ,बंगला ,पद वाला होगा तो अपने लिए आपको न तो कुछ दे देगा न आपका कुछ ले लेगा ,तो क्यों उससे घबराए |
यह विचार मात्र हैं ,,यह विचार आते ही आपकी हीन भावना ,आपकी हिचकिचाहट ,घबराहट कम हो जायेगी ,बोल्डनेस बढ़ जायेगी और आप सामना कर पायेंगे आप किसी का भी ,किसी परीक्षा का भी ,,,खुद को कम न मानिए तो आपकी पूरी योग्यता ,क्षमता बाहर आएगी और जो आपकी क्षमता योग्यता होगी और जितना भाग्य में होगा मिलेगा |हीन भावना ,खुद को कमतर मानने का मानसिक दबाव आपको प्रयास नहीं करने देता ,मानसिक रूप से कमजोर बनता है ,आपकी क्षमता को ,योग्यता को कम करता चला जाता है ,अवसरों का लाभ नहीं उठाने देता या उनके प्रति उदासीन बनता है |आप अपनी उन्नति ,के लिए दूसरों का मुंह देखते हैं की कोई मदद कर दे ,बजाय इसके की आप खुद आगे बढ़ अवसर पकड़ लें |आपको लगता है की आप सफल नहीं होंगे ,आप हिचकिचाते हैं डरते हैं |लड़ने से पहले ही हार मान लेते हैं जबकि आप जीत सकते हैं |यह मानसिकता ही अधिकतर लोगों की असफलता का कारण होती है ,जिसने इससे पार पा लिया वह अपनी योग्य का अपने भाग्य का पूरा पाता है और सफल रहता है |
यदि आप हीन भावना से ग्रस्त हैं ,खुद को कम मानते हैं ,खुद पर अविश्वास है ,या आपके किसी परिजन के साह ऐसी कोई समस्या है तो ,आप दो स्टारों पर कार्य करें |पहला यह की आप अपना अवचेतन सक्रिय करें ,उसे सुधारें |किसी मनोचिकित्सक ,या सलाहकार ककी मदद ले सकते हैं |कुछ शब्द उनके द्वारा बनवाएं ,उन शब्दों को उनके अनुसार बार बार दोहराएँ ,अवचेतन में बिठाएं |अपनी भावना बदलें ,सोच बदलें ,परिवर्तन अपने आप आने लगेंगे |आपकी हिचक ,डर ,हीनभावना ,समाप्त हो जायेगी |आप परिस्थितियों ,परीक्षा ,प्रतियोगिता अथवा लोगों का सामना कर पायेंगे ,खुद को व्यक्त कर पायेंगे ,खुद को साबित कर पायेंगे |दूसरा काम यह करें की किसी अच्छे ज्योतिषी की भी सलाह लें और पता करें की किसी ग्रह आदि के कारण तो आपमें भय उत्पन्न नहीं होता या लोगों या परिस्थितियों का सामना करने में आप नहीं डरते |या आप किसी अच्छे सम्बंधित महाविद्या साधक से बगलामुखी या काली का यन्त्र बनवाकर ,अभिमंत्रित कराकर ताबीज में धारण करें |इससे आपमें साहस ,बोल्डनेस उत्पन्न होगी और भय ,उत्साहहीनता ,आलस्य समाप्त होगी |आप भले यह सोचें की यन्त्र क्या करेगा किन्तु यह विशिष्ट शक्तियों से पूर्ण होने के कारण आतंरिक ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे परिवर्तन आते हैं |खुद को व्यक्त करने ,आतंरिक योग्यता निकालने में यह सहायक होते हैं |सामने वाले पर इनका अनुकूल प्रभाव पड़ता है |
यदि हीनभावना ,खुद को कम मानने ,खुद में कमी की भावना समाप्त हो जाए तो आप अधिक प्रयास कर पाते हैं ,हर स्थिति में खुद को ढालने ,हर स्थिति से संघर्ष करने ,हमेशा उन्नति करने और कहीं भी न हिचकिचाने वाले हो जाते हैं ,इससे आपकी सफलता कई गुना बढ़ जाती है |खुद को सक्षम मानिए ,खुद को व्यक्त कीजिये ,किसी भी स्थिति या व्यक्ति के पोजीसन के दबाव में न आकर खुद को साबित कीजिये ,अपना पूर्ण और शतप्रतिशत प्रयास कीजिये आप सफल होंगे |.............................................................हर-हर महादेव
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मनुष्य की भावना ,उसका व्यक्तित्व ,खुद को व्यक्त करने का तरीका ,व्यक्तिगत सोच ,उसकी सफलता असफलता में मुख्य कारक होता है |कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कम योग्य होते हुए भी खुद को अच्छे तरीके से व्यक्त कर पाते हैं ,साहसी होते हैं ,अवसरों का अधिक लाभ उठा पाते हैं ,किसी का भी सामना करने ,बात चीत करने को तैयार रहते हैं इसलिए अधिक सफल भी हो जाते हैं |जबकि कुछ लोग अधिक योग्य होते हए भी खुद को व्यक्त नहीं कर पाते ,खुद को साबित नहीं कर पाते ,किसी के सामने जाने में ,वार्तालाप में घबराते हैं ,हिचकते हैं ,किसी के सामने पड़ने पर जो जानते हैं वह भी नहीं बता पाते ,अपने को कमतर मानते हुए अवसरों को छोड़ देते हैं और असफल रह जाते हैं |
कुछ लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं ,एकांत में अकेले में उनकी समस्त बुद्धि ,योग्यता ,क्षमता काम करती है |अपने परिवार और मित्रों के बीच बहुत वाकपटु होते हैं ,अच्छा बहस भी कर लेते हैं ,परीक्षा में अच्छे नमबर भी लाते हैं किन्तु नौकरी ,आजीविका ,व्यवसाय में असफल या कम सफल हो जाते हैं |उनसे कम बुद्धिमान ,कम क्षमता वाला आगे निकल जाता है और वह पीछे रह जाते हैं |इसक कारण उनकी हीन भावना होती है |जब प्रतियोगिता ,सामने वार्तालाप की बारी आती है तो उन्हें अपनी क्षमता कम लगती है ,किसी को फेस करने में मानसिक दबाव में आ जाते हैं |अधिक प्रतियोगी देखकर या कई लोगों के सामने इंटरव्यू देते समय उन्हें लगता है उनका तो चयन होने से रहा ,इतने अधिक लोग प्रतियोगी हैं ,इतने बड़े बड़े डिग्री धारी हैं ,इतने बड़े बड़े सोर्स वाले हैं ,इतने धनवान ,उच्च वर्गीय लोग हैं ,इतने अच्छे विद्यालयों -कालेजों से पढ़े लोग हैं ,इनके सामने हमारी क्या बिसात ,हमारा तो चयन मुश्किल है |यह हीन भावना है |इस भावना के आते ही जो उन्हें आता रहता है ,जो उनकी योग्यता ,क्षमता है वह भी कम हो जाती है |कुछ भूल जाते है तो कुछ किसी के सामने पड़ने पर हकलाने लगते हैं |
हम आपको अवचेतन की कार्यप्रणाली बताते हैं जो की अक्षरशः आपके जीवन पर सत्य उतरती है |यदि आप बार बार दोहराते रहें की यह काम आपसे नहीं होगा ,आपकी क्षमता से बाहर है तो कुछ दिनों में आपका अवचेतन यह मान लेगा की सचमुच आपने वह क्षमता नहीं है ,,जबकि सच्चाई यह होती है की आपमें वह योग्यता होती है किन्तु अपनी हीन भावना के कारण ,अपने को कमजोर मानने के कारण ,साहस की कमी के कारण ,परिस्थितितियों से घबराने के कारन आप खुद को कमतर मानते हैं और सोचते हैं की आपसे वह काम नहीं होगा |अवचेतन में बैठने पर जब कुछ उस प्रकार की परिस्थिति आएगी तो अवचेतन आपको कोई सलाह नहीं देगा या अचनत आपके मन में आयेगा की यह काम मुझसे नहीं होगा ,परिणाम यह होगा की जो आपको यद् होगा वह भी अवचेतन नहं बताएगा ,खुद की जानकारी तो नहीं ही देगा |जबकि अगर अवचेतन चाहे तो आपको आपके सैकड़ो जन्मो की जानकारी उपलब्ध करा सकता है और हर स्थिति में बेहतरीन सलाह दे सकता है आपको सफल बना सकता है |इस तरह यह हीन भावना ,खुद को कमतर मानने की भावना आपकी सफलता उन्नति को रोक देती है |
आपको किसी भी तरह के पद ,नौकरी ,व्यवसायिक गतिविधि के लिए वैसी सोच उत्पन्न करनी होती है |मैनेजर की परीक्षा खुद को मैनेजर मानकर देने पर ही सफल होगी ,,आई ए एस की परीक्षा खुद को आई ए एस मानकर देने पर ही सफल होगी ,मजदूर मानकर परीक्षा देने पर आपकी मानसिकता अधिकारी जैसी नहीं होगी अतः आप सफल नहीं होंगे |किसी को सूटेड बूटेड देखकर ,किसी की बड़ी गाडी ,अच्छे कपडे ,बड़ा पद देखकर आप दबाव में आये तो उसके सामने आपकी आवाज नहीं निकलेगी और जो आपकी योग्यता है वह सामने न आने से आप असफल होन्गे |आप पहले से एक निश्चित स्थिति में हैं ,इससे तो कोई और नीचे ले नहीं जाएगा ,फिर क्यों आप हीन भावना से ग्रस्त होते हैं ,क्यों खुद को कमजोर मानते हैं |क्यों न आप यह सोचें की जो होगा देखा जाएगा ,कोई आपको और तो नहीं ही गिरा देगा ,यहाँ नहीं तो कहीं और सही ,अगर आपमें क्षमता है तो सफलता जरुर मिलेगी |कोई बड़ा अधिकारी ,सूटेड बूटेड ,बड़ी ,गाडी ,बंगला ,पद वाला होगा तो अपने लिए आपको न तो कुछ दे देगा न आपका कुछ ले लेगा ,तो क्यों उससे घबराए |
यह विचार मात्र हैं ,,यह विचार आते ही आपकी हीन भावना ,आपकी हिचकिचाहट ,घबराहट कम हो जायेगी ,बोल्डनेस बढ़ जायेगी और आप सामना कर पायेंगे आप किसी का भी ,किसी परीक्षा का भी ,,,खुद को कम न मानिए तो आपकी पूरी योग्यता ,क्षमता बाहर आएगी और जो आपकी क्षमता योग्यता होगी और जितना भाग्य में होगा मिलेगा |हीन भावना ,खुद को कमतर मानने का मानसिक दबाव आपको प्रयास नहीं करने देता ,मानसिक रूप से कमजोर बनता है ,आपकी क्षमता को ,योग्यता को कम करता चला जाता है ,अवसरों का लाभ नहीं उठाने देता या उनके प्रति उदासीन बनता है |आप अपनी उन्नति ,के लिए दूसरों का मुंह देखते हैं की कोई मदद कर दे ,बजाय इसके की आप खुद आगे बढ़ अवसर पकड़ लें |आपको लगता है की आप सफल नहीं होंगे ,आप हिचकिचाते हैं डरते हैं |लड़ने से पहले ही हार मान लेते हैं जबकि आप जीत सकते हैं |यह मानसिकता ही अधिकतर लोगों की असफलता का कारण होती है ,जिसने इससे पार पा लिया वह अपनी योग्य का अपने भाग्य का पूरा पाता है और सफल रहता है |
यदि आप हीन भावना से ग्रस्त हैं ,खुद को कम मानते हैं ,खुद पर अविश्वास है ,या आपके किसी परिजन के साह ऐसी कोई समस्या है तो ,आप दो स्टारों पर कार्य करें |पहला यह की आप अपना अवचेतन सक्रिय करें ,उसे सुधारें |किसी मनोचिकित्सक ,या सलाहकार ककी मदद ले सकते हैं |कुछ शब्द उनके द्वारा बनवाएं ,उन शब्दों को उनके अनुसार बार बार दोहराएँ ,अवचेतन में बिठाएं |अपनी भावना बदलें ,सोच बदलें ,परिवर्तन अपने आप आने लगेंगे |आपकी हिचक ,डर ,हीनभावना ,समाप्त हो जायेगी |आप परिस्थितियों ,परीक्षा ,प्रतियोगिता अथवा लोगों का सामना कर पायेंगे ,खुद को व्यक्त कर पायेंगे ,खुद को साबित कर पायेंगे |दूसरा काम यह करें की किसी अच्छे ज्योतिषी की भी सलाह लें और पता करें की किसी ग्रह आदि के कारण तो आपमें भय उत्पन्न नहीं होता या लोगों या परिस्थितियों का सामना करने में आप नहीं डरते |या आप किसी अच्छे सम्बंधित महाविद्या साधक से बगलामुखी या काली का यन्त्र बनवाकर ,अभिमंत्रित कराकर ताबीज में धारण करें |इससे आपमें साहस ,बोल्डनेस उत्पन्न होगी और भय ,उत्साहहीनता ,आलस्य समाप्त होगी |आप भले यह सोचें की यन्त्र क्या करेगा किन्तु यह विशिष्ट शक्तियों से पूर्ण होने के कारण आतंरिक ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे परिवर्तन आते हैं |खुद को व्यक्त करने ,आतंरिक योग्यता निकालने में यह सहायक होते हैं |सामने वाले पर इनका अनुकूल प्रभाव पड़ता है |
यदि हीनभावना ,खुद को कम मानने ,खुद में कमी की भावना समाप्त हो जाए तो आप अधिक प्रयास कर पाते हैं ,हर स्थिति में खुद को ढालने ,हर स्थिति से संघर्ष करने ,हमेशा उन्नति करने और कहीं भी न हिचकिचाने वाले हो जाते हैं ,इससे आपकी सफलता कई गुना बढ़ जाती है |खुद को सक्षम मानिए ,खुद को व्यक्त कीजिये ,किसी भी स्थिति या व्यक्ति के पोजीसन के दबाव में न आकर खुद को साबित कीजिये ,अपना पूर्ण और शतप्रतिशत प्रयास कीजिये आप सफल होंगे |.............................................................हर-हर महादेव
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