Thursday 27 February 2020

थोपे गए सुझाव जीवन बर्बाद करते हैं

आपको मिल रहे सुझाव और सलाह आपको सफल-असफल बनाते हैं 
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सुझाव दो तरह के होते हैं ,आत्म सुझाव अर्थात जो सुझाव हम खुद से खुद को देते हैं और दूसरा दूसरों द्वारा दिया गया सुझाव या सलाह |हर साधन की तरह इसके भी गलत प्रयोग से नुक्सान हो सकता है ,लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह बहुत उपयोगी बन सकता है |एक उदाहरण लेते हैं एक प्रतिभावान गायिका की |उसे एक महत्वपूर्ण आडिसन देने जाना होता है ,जिसके लिए वह बेताब भी होती है और आशंकित भी |पहले के कुछ आडिसन में वह असफल हो चुकी है |कारण असफल होने का डर था |उसकी आवाज अच्छी होने पर भी उसे लगता था की जब गाने का वक्त आएगा तो वह अच्छा नहीं गा पाएगी |वह सोचती थी उसे सम्बंधित भूमिका नहीं मिलेगी |आडिसन लेने वाले उसे पसंद नहीं करेंगे |मै आडिसन देने तो जा रही हूँ लेकिन में जानती हूँ की में असफल हो जाउंगी |इतने और अनजान लोगों का सामन में कैसे करुँगी ,आदि आदि |
     अब उसके अवचेतन मन ने बार बार यही सब सोचने से इसे आग्रह मान लिया और वह इन्हें सच करने में जुट गया तथा उन्हें परिस्थितियों में बदल दिया |कारण अनचाहा आत्म सुझाव था |उसका डर हकीकत में बदल गया और उसके विचार सच हो गए |जब भी परफार्मेंस की स्थिति आती वह घबरा जाती ,डर जाती |इस डर और घबराहट में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती की वह असफल हो जाती |जब उसे इससे उबरने की सलाह दी गयी तो आखिरकार वह अपने नकारात्मक आत्म सुझावों से उबरने में सफल हो गयी |उसने सकारात्मक आत्म सुझावों से इसका विरोध करके यह काम किया |हर दिन तीन बार वह एक एकांत और शांत कमरे में जाती थी |वह एक आराम कुर्सी पर बैठ शरीर को ढीला छोड़ आँखे बंद कर लेती थी |शारीरिक निष्क्रियता मानसिक निष्क्रियता को प्रेरित करती है और मष्तिष्क को सुझाव के प्रति अधिक ग्रहण शील बना देती है |डर के सुझाव का प्रतिकार करने के लिए वह बार बार कहती ,,में बहुत अच्छा गाती हूँ ,में शांत -संतुलित -आत्मविश्वासी हूँ |मुझमे कोई कमी नहीं हैं |में सबसे बेहतर कर सकती हूँ |आदि आदि |एक सप्ताह में वह वास्तव में बहुत शांत ,आत्मविश्वासी हो गयी और जब निर्णायक दिन आया तो उसने बहुत बढिया आडिसन दिया और उसे भूमिका मिल गयी |यहाँ चमत्कार हुआ लेकिन खुद उसके बल पर |ईश्वर उपर से नहीं आया अपितु उसने खुद में उपस्थित शक्ति को ही मात्र अपने सुझाव से बदल दिया |
बाहरी सुझाव का मतलब है किसी दुसरे व्यक्ति के सुझाव |अक्सर इन सुझावों से हमारा वास्ता पड़ता है |चाहे अनचाहे लोग सुझाव थोपते रहते हैं |अपने लोग भी और बाहरी भी |अगर यह बार बार एक ही चीज दोहरायें तो यह मन में बैठ जाता है और फिर इससे निकलना मुश्किल हो जाता है |अवचेतन में बैठा हुआ सुझाव समय समय पर उसके अनुरूप परिस्थितियां उत्पन्न करता ही रहता है |पैदा होने के बाद से ही हमारे उपर नकारात्मक सुझावों की बमबारी होने लगती है ,चूंकि हम यह नहीं जानते हैं की उनका विरोध कैसे किया जाए ,इसलिए अचेतन रूप में हम उन्हें स्वीकार कर लेते हैं और अपने अनुभव में बदल देते हैं |यह नकारात्मक सुझाव देने वाले अधिकतर हमारे तथाकथित हितैषी और परिवारीजन ही होते हैं ,जो मनोवैज्ञानिक परिणाम को न जानकार अपनी बुद्धिमानी में आपका जीवन खराब कर देते हैं |देखें कुछ सुझावों को और सोचें कौन बार बार ऐसा सुझाव देता है जो आपको असफल बनाते हैं |
 * तुम कुछ नहीं कर सकते |
 * तुम कभी कुछ नहीं बन पाओगे |
 * तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए ,वैसा नहीं करना चाहिए [बिना कारण समझाये ]
 * तुम असफल हो जाओगे |
 * तुम्हारी सफलता की बिलकुल संभावना नहीं है |
 * तुम बिलकुल गलत हो |
 * तुम हमेशा गलत काम करते हो |
 * तुममे कोई अच्छा गुण नहीं |
 * उसको देखो वह ऐसा है ,तुम ऐसे हो ,तुम कुछ नहीं कर सकते |
 * इससे कोई फायदा नहीं होगा |
 * महत्वपूर्ण यह नहीं की तुम क्या जानते हो ,महत्वपूर्ण तो यह है की तुम किसे जानते हो |
 * महत्वपूर्ण यह नहीं की तुम्हारी योग्य क्या है ,महत्वपूर्ण यह है की हम क्या चाहते हैं |
 * दुनिया का पतन हो रहा ,रसातल को जा रही |
 * क्या फायद किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता |
 * इतनी ज्यादा कोसिस करने से कोई फायदा नहीं |
 * तुम्हारी उम्र अब ज्यादा हो चुकी हो ,तुम अब अयोग्य हो |
 * स्थितियां बिगडती जा रही ,अब कुछ नहीं हो सकता |
 * जिंदगी मशीनी चक्की बनके रह गयी है |
 * हमारी भावनाओं को कोई नहीं समझता |
 * प्रेम सिर्फ पक्षियों के लिए है ,वास्तव में कोई प्रेम नहीं करता |सब स्वार्थ है |
 * तुम कभी नहीं जीत सकते |
 * सावधान रहना खतरा आने वाला है |
 * सावधान रहना तुम्हे भयंकर बीमारी होने वाली है या दुर्घटना होने वाली है |
 * कोई भी भरोसे के काबिल नहीं रहा |
 * हर आदमी का अपना स्वार्थ है ,बिना स्वार्थ कोई कुछ नहीं करता |
 * मेरी किसी को कोई कदर नहीं ,,किसी को मेरी जरुरत नहीं |
 * तुम एक काम भी ढंग से नहीं कर सकते |
 * आज के समय नैतिकता और आदर्श से जो रहा भूखों मरेगा |
उपरोक्त सब नकरातमक सुझावों के कुछ उदाहरण मात्र हैं |ऐसे सुझाव हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में हमें रोज सुन्ने को मिल जाते हैं |इनमे जो बार बार दोहराया जाता है वह अवचेतन में बैठ जाता है |इन्हें स्वीकार करके आप उन्हें साकार करने में सहयोग देते हैं |बचपन में आप दूसरों के सुझाव का विरोध नहीं कर सकते थे |आपको इस बारे में ज्यादा पता नहीं था किन्तु बड़े होने पर आप इन्हें सुधार सकते हैं |अक्सर उपरोक्त सुझाव आपके हितैषियों द्वारा दिए जाते हैं जो आपको और पीछे लेकर चले जाते हैं |वास्तव में यह आपका भला नहीं करते हालांकि उन हितैषियों का मकसद ठीक ही होता है आपको सुधारना किन्तु इसका विज्ञान न जानने के कारण वह आपका अहित कर जाते हैं जिनसे आप जीवन भर छुटकारा नहीं पा पाते है |
वयस्क होने पर अगर आप ध्यान दें तो इससे छुटकारा पा सकते हैं |आपके पास चयन का विकल्प होता है |आप सकारात्मक आत्म सुझाव द्वारा अपनी कंडीसनिंग दोबारा कर सकते हैं और अतीत के छापों को बदल सकते हैं |इसका पहला कदम उन बाहरी सुझावों के प्रति जागरुक बनना है जो आप पर काम कर रहे हैं ,जो बैठ चुके हैं अवचेतन में |अगर जांच न की जाए तो वे व्यवहार के ऐसे संस्कार डाल सकते हैं जो आपको व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में असफल बना देंगे |सृजनात्मक आत्म सुझाव आपको नकारात्मक कंडीसनिंग से मुक्त कर सकता है |अगर ऐसा नहीं किया गया तो नकारात्मक कंडीसनिंग आपके जीवन को विकृत कर देगी और अच्छी आदतों के विकास को मुश्किल या असंभव बना देगी |उदाहरण के लिए बार बार सुझाव बचपन से दिया गया है की आप कुछ नहीं कर सकते |यह अवचेतन में बैठ गया है |आप कुछ करने जायेंगे ,अन्दर से आपकी ही अब आवाज आएगी ,मुझसे नहीं होगा ,में नहीं कर सकता ,मुझमे क्षमता नहीं |फलस्वरूप ऐसी हताशा उत्पन्न होगी की दिशा में काम करना ही मष्तिष्क बंद कर देगा और रास्ता नहीं खोजेगा |खुद में कमी मान बैठ जाएगा और अगर अवसर भी आता है तो आप उसे पकड़ नहीं पायेंगे |
इसलिए नियमित रूप से इन नकारात्मक थोपे गए सुझावों की जांच करें |इन आत्म विनाशक सुझाव देने वालों और सुझावों पर दया करने की जरुरत नहीं |इनका प्रतिकार करें |आप अगर बचपन -किशोरावस्था से जवानी तक के सुझावों का विश्लेषण करें तो पायेंगे अधिकतर सुझाव झूठे थे |सुझावों का अर्थ आपमें डर पैदा करके आपको नियंत्रित करना था या है अथवा आपको अपने अनुसार चलाना था |धीरे धीरे विश्लेसन से आपको पता चल जाएगा की जाने अनजाने में लोगों के सुझावों का उद्देश्य यह होता है की आप वैसा ही सोचें ,महसूस करें और काम करें जैसा वे चाहते हैं ,ताकि उन्हें फायदा पहुचे ,भले ही आपको नुक्सान हो जाए |इनका आपकी योग्यता ,क्षमता ,भावनाओं और उन्नति से कोई लगाव नहीं होता |अधिकतर अपने स्वार्थ में ऐसा करते हैं |बहुत कम होते हैं जो वास्तव में आपका हित चाहते हैं ,वह भी नकारात्मक सुझावों को ही हथियार बनाते हैं आपको अच्छा मार्ग दिखाने में |पर वास्तव में वह आपका अहित ही करते हैं |अतः खुद को सकारातमक सुझाव इनके विपरीत दें |आप सफल होंगे और अनेक समस्याओं से निकल जायेंगे |.............................................................हर-हर महादेव 

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