Thursday, 27 February 2020

विश्वास से चमत्कार होता है

आस्था ,विश्वास चमत्कार करते हैं
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प्रकृति ने पृथ्वी के सभी जीवों के लिए एक निश्चित पैटर्न बनाए हैं जिनके अनुसार उनकी आतंरिक और वाह्य क्रियाएं स्वतः चलती हैं |जो जीव आतंरिक और वाह्य प्रक्रियाओं के बारे में नहीं जानते उनमे भी सबकुछ स्वतः नियंत्रित होता है ,मनुष्य तो अबहुत कुछ जानने लगा है |इन जीवन सिद्धांत के बारे में मनुष्य चेतन रूप से जानकार होने के कारण खुद को अनगिनत रूप से लाभ पहुचाने का प्रयत्न करता रहता है |यह इन्ही सिद्धांतों को जानकर इन्हें अपने धर्म में सम्मिलित रखता है |यह जानता है की खुद के भले के लिए किसका कहाँ क्या उपयोग किया जाए |दुनिया के सभी धर्म विश्वास रूप हैं और यह विश्वास कई तरीके से स्पष्ट किये जाते हैं |जीवन का नियम विश्वास है |विश्वास आपके मष्तिष्क का एक विचार है ,जिस कारण अवचेतन की शक्ति आदतन सोच के अनुसार जीवन के सभी क्षेत्रों में उतरती है |हर धर्म कहता है आप विश्वास रखो और वह होगा जिसमे आपको विश्वास है |इसका मतलब यह नहीं होता की धर्म किसी अनुष्ठान ,समारोह ,रूप ,संस्था या फार्मूले के बारे में बोल रहा है |वह तो स्वयं आपके विश्वास के बारे में बोलता है |आपका विश्वास आपके मष्तिष्क का विचार है |आपके मष्तिष्क का विश्वास परिणाम उत्पन्न करता है |आपके सभी अनुभव ,सभी कार्य तथा जीवन की सभी घटनाएँ व् परिस्थितियां आपके ही विचार की प्रतिक्रियाएं और प्रतिबिम्ब हैं |आप जैसा सोचते हैं जैसा विश्वास करते हैं जैसी धारणा रखते हैं आपका अवचेतन उसी अनुसार कार्य करता है और आपकी प्रतिक्रिया किसी विषय विशेष के लिए स्वयमेव वैसी आती है ,आपको तो पता भी नहीं होता और परिणाम आपके सामने आ जाता है |भले आप बाद में पछताएँ पर यह आपके अवचेतन में आपके विचारों के अनुसार भरा गया विश्वास है जो अवचेतन अपने आप बाहर निकालता है समय आने पर |
विश्वास की शक्ति से प्रार्थना चिकित्सा काम करती है |यह मष्तिष्क के चेतन और अवचेतन स्तरों का क्रमबद्ध ,सामंजस्यपूर्ण और बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य है ,जिसे किसी निश्चित उद्देश्य के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया जाता है |प्रार्थना चिकित्सा के लिए आपको पता होना चाहिए की आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं |इसमें आप किसी निश्चित विचार ,मानसिक तस्वीर या योजना को चुनते हैं ,जिसे आप अनुभव करना चाहते हैं |आप इस विचार या मानसिक छवि को अपने अवचेतन तक पहुंचा देते हैं और काल्पनिक अवस्था की वास्तविकता को अनुभव करते हैं |आपकी आस्था ,विश्वास ,कल्पना और वास्तविकता का अनुभव जितना गहन होगा आपको परिणाम उतना शीघ्र मिलता है |इस प्रकार आपको अपनी प्रार्थना का जबाब मिल जाता है |
आपकी समस्या ,बीमारी चाहे जो भी हो आपके अवचेतन मन में रहने वाले भयाक्रांत नकारात्मक विचारों के कारण उत्पन्न होती है |अगर इन विचारों की सफाई कर दें तो आप ठीक हो जाते हैं |इस सफाई की प्रक्रिया में आप नया विचार चुनते है और खुद को याद दिलाते हैं की आपका अवचेतन हर बीमारी का उपचार करने में सक्षम है |आप खुद पर विश्वास करते हैं और अपने अवचेतन की असीमित शक्तियों पर विश्वास करते हैं |धार्मिक रूप से इसे आप अपने ईष्ट का नाम देते हैं |आप खुद या ईश्वर के नाम पर लगातार सोचते हैं की वह या यह हर तरह से सक्षम है ,तो आपका डर धीरे धीरे कम होने लगता है |बार बार दुहराने की प्रक्रिया में पुराने विश्वासों से ,नकारात्मक विचारों से इनका संघर्ष होता है और अंततः उन्हें यह परास्त कर देती है |इसके बाद यह नए विचार पुराने नकारात्मक विचारों का स्थान ले लेते हैं |आप उपचार के लिए ईश्वर को या अवचेतन को धन्यवाद देते हैं और विश्वास करते हैं की यह अवश्य होगा |धीरे धीरे नकारात्मक स्थितियों को शक्ति मिलनी बंद हो जाती है और विश्वास दृढ होता जाता है |इस तरह के मानसिक नजरिये से चेतन और अवचेतन मन का सामंजस्यपूर्ण मेल बनता है जो उपचारक शक्ति को सक्रीय कर देता है |वैज्ञानिक या चिकित्सकीय रूप से इसे प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि अथवा शारीरिक क्रियाओं की तीव्र सक्रियता कहते हैं ,पर यह सब मष्तिष्क और विचारों का परिणाम है जो किसी को सक्रिय किसी को निष्क्रिय कर देता है |उदाहरण हार्ट अटैक ,मानसिक अवसाद आदि जो भावना और शारीरिक क्रियाओं से जुड़े होते हैं |इसी तरह सभी रोग अथवा क्रियाएं कहीं न कहीं से विश्वास ,विचार और अवचेतन से ही नियंत्रित या उत्पन्न होती हैं |..........................................................हर हर महादेव

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