Thursday, 27 February 2020

असंभव को भूल जाओ -सफल हो जाओगे

असंभव कुछ भी नहीं ::सफलता के सूत्र 
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कहा जाता है की दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं ,अगर मजबूत आत्मबल हो तो |यह भाषा अक्सर कर्म में विश्वास करने वाले कर्मयोगी करते है ,जबकि भाग्यवादी अक्सर भाग्य पर भरोसा करते हैं |भाग्य होता है और बेहद महत्वपूर्ण भी होता है ,किन्तु वह भी कर्म से प्रभावित होता है |राज कुल में जन्मा व्यक्ति भाग्य से ऐसे कुल में जन्मता है किन्तु फिर भी अपने कर्म से पतन को प्राप्त हो जाता है ,जबकि भिखारी के यहाँ पैदा होने वाला थोड़े से अवसर पाते ही अपने कर्म के बल पर बेहद शक्तिशाली और वैभव संपन्न हो जाता है |कहने का तात्पर्य है की भाग्य जन्म और उसके कुछ समय तक तो बहुत प्रभावी हो सकता है किन्तु कर्म का समय शुरू होते ही वह कर्म से प्रभावित होने लगता है |
हमारा विषय धर्म और अध्यात्म ,साधना और शक्ति से सम्बंधित है अतः हम इस विषय पर ही केन्द्रित रहते हैं |अक्सर हम सुनते हैं की लोग कहते मिलते हैं की हमने इतने समय तक ,इतनी देर तक पूजा की ,साधना की ,इन-इन मंदिरों में गए ,यहाँ-यहाँ मत्था टेका पर कुछ नहीं हुआ |भगवान् ने नहीं सुना |भगवान् भी गरीबों-दुखियों की नहीं सुनता ,आदि आदि अनेक बातें सुनने को मिल जाती हैं |किन्तु यह सब सत्य नहीं हैं |भगवान् सबकी सुनता है ,पर उसे सुनाने के लिए अंतर्मन की आवाज चाहिए |मंदिरों -मस्जिदों में सर झुकाने मात्र से वह नहीं सुन लेगा |ऐसा तो अक्सर उसकी शक्ति के डर से उत्पन्न आस्था और अपने स्वार्थ की भावना से उत्पन्न कामना के कारण ही अधिकतर लोग करते है |कितने लोग होते हैं जो बिना भय के अथवा बिना स्वार्थ के सर झुकाते हैं |इसीतरह पूजा-आराधना के समय सम्बंधित शक्ति या देवता पर मन एकाग्र नहीं है तो उस तक आपकी आवाज नहीं पहुचती ,क्योकि वह आपके मन से सुनता है मुह से नहीं ,उस तक आपकी भावना पहुचती है आवाज नहीं |आवाज की अपनी शक्ति होती है पर बिना भावना के वह भी बिखर जाती है |भावना -श्रद्धा के साथ मन की एकाग्रता पर ही मन्त्रों की ऊर्जा भी ईष्ट तक पहुचती है ,केवल मंत्र अथवा वाणी की आवाज तो वातावरण में बिखर कर रह जाती है |
व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं की ,यदि कोई कहता है की पूजा-पाठ, साधना-अनुष्ठान करने पर भी कुछ नहीं हुआ ,तो निश्चित रूप से कमी खुद करने वाले के अन्दर है |यद्यपि हम बहुत बड़े साधक नहीं ,साधू नहीं ,तपस्वी या सन्यासी नहीं ,किन्तु अपने अनुभवों से पाया है की ईश्वर जरुर सुनता है |आप में वह शक्ति और आत्मबल चाहिए की आप उसे सूना सकें |हम सामान्य गृहस्थ होने के बाद भी कहने की स्थिति में हैं की ईश्वर में आपकी श्रद्धा, उसमे विश्वास, सही तकनीक का ज्ञान ,पूर्ण समर्पण और खुद का आत्मबल है तो उसकी ऊर्जा अवश्य आकर्षित होती है और वह आपकी सुनता भी है |दुसरे की तो बात ही क्या ,पर हमने खुद के यहाँ पाया है की बच्चों की भी पूर्ण श्रद्धा से की गयी कामना पूर्ण होती है |खुद के यहाँ स्थापित सामान्य सी भगवती के चित्र के सामने आज तक परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा व्यक्त की गयी कोई कामना[ अगर वह सम्बंधित शक्ति के अंतर्गत आती है | असफल नहीं हुई |ऐसा शायद उस स्थान पर साधना होने और स्थान के भगवती की ऊर्जा से संतृप्त होने के कारण होता है अथवा सम्बंधित सदस्य की अगाध श्रद्धा के कारण |पर पूरा होता है |कभी कभी तो तक्षण परिणाम मिलता है | यह जरुर पाया है की अगर शक्ति की प्रकृति से भिन्न आपकी कामना है तो वह पूर्ण होने में संदेह हो जाता है |काली से अगर आप रुपये-पैसे की कामना करते हैं तो संदेह हो जायेगा उसके पुरे होने में |अब तक खुद कभी नहीं पाया की जिस उद्देश्य से अनुष्ठान किया हो वह पूरा न हुआ हो |इसलिए आज यह कहने की स्थिति पाते हैं की ईश्वरीय ऊर्जा की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ती असंभव नहीं |जरुरत आपके सही प्रयास की है |किसी को कहते सुना की इतनी देर ,इतने समय से पूजा किया किन्तु कुछ समझ में नहीं आया |तभी इस पोस्ट को लिखने की प्रेरणा मिली ,की ऐसा नहीं है भाई |कमी हममे हो सकती है |खुद की और तो देखें |
यहाँ एक समस्या होती है |आप पूजा दुर्गा-काली की कर रहे हैं और कामना धन -रुपये- प्रेम आदि की कर रहे हैं |ऐसे में आपकी कामना पूरी तरह पूर्ण हो पाएगी इसमें संदेह हो सकता है |यद्यपि यह शक्तियां जगत्जननी और सर्वोच्च शक्तियां हैं ,पर फिर भी इनकी एक निश्चित आकृति और गुण बनाये गए हैं |इन्ही गुणों के अनुसार मंत्र रचना और पूजा-पद्धति बनाई गयी है |इस प्रकार एक निश्चित प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है और उसी तरह की ऊर्जा का आकर्षण होता है |ऐसे में जब आप उग्र शक्ति से कोमलता अथवा रुपये आदि की कामना करते हैं तो उसे अपने प्रकृति के विरुद्ध कार्य करने में दिक्कत आती है और उसके लिए मुश्किल होती है की आपकी कामना की दिशा में वह कार्य करे ,यद्यपि वह उर्जा लगती जरुर है उस दिशा में पर प्रकृति भिन्न होने से अपेक्षित परिणाम मुश्किल होता है |ऐसे कार्यों के लिए उसी शक्ति का वह रूप जो ऐसे कार्यों के लिए ही बना है [लक्ष्मी-कमला-मातंगी] अधिक उपयुक्त होता है |किन्तु हम इसका ध्यान नहीं रखते |हनुमान जी से कन्या और प्रेम की कामना करते हैं जो उनकी प्रकृति से ही भिन्न है |अगर हम शक्ति [ईश्वर] की प्रकृति के अनुरूप अपनी कामना रखकर साधना-पूजा-अनुष्ठान करें और आस्था अट्टू रखकर लगे रहें तो सफलता जरुर मिलती है |
अगर आप चाह ही लें की ईश्वरीय ऊर्जा आनी ही चाहिए ,ईश्वर को अपनी भावना-कामना सुनानी है |ईश्वर या शक्ति को अपने तक बुलाना है ,उससे अपने लिए सहायता लेनी ही है ,तो यह असंभव नहीं है |सबकुछ संभव है |जरुरत खुद को उठाकर सम्बंधित लक्ष्य को अपने ही अवचेतन तक ले जाने की जरुरत है |जब आप गहन विश्वास से ,पूर्ण आत्मबल से ,पूर्ण आस्था से ,उपयुक्त तकनीक को जानकार लक्ष्य की दिशा में प्रयास करते हैं तो आपके प्रयास अर्थात अवचेतन ,चेतन मन से ,मानसिक शक्ति से ,श्रद्धा ,विश्वास -आस्था से उत्पन्न बल से ऐसी तरंगे निकलती हैं जो प्रकृति में सन्देश प्रसारित करती हैं और प्राकृतिक ऊर्जा ,प्रकृति की शक्तियां ,आप द्वारा उपासित शक्ति आपकी ओर आकर्षित होने लगती हैं |धीरे धीरे यह सब ऊर्जा या शक्ति सम्मिलित हो आपके लक्ष्यपूर्ति में सहयोग करने लगती हैं ,अनुकूल वातावरण बनाने लगती हैं ,आपकी मानसिक उर्जा से तालमेल बनाने वाली ऊर्जा से आपके आसपास का वातावरण और आपके शरीर का रासायनिक संचालन संतृप्त होने लगता है |इस प्रकार वातावरण भी सहायक होने लगता है और आपका व्यक्तित्व ,कार्यशैली भी परिवर्तित और अधिक लक्ष्य केन्द्रित होने लगता है जिससे आपका लक्ष्य आपको प्राप्त होता है |अगर संसार में कोई समस्या है तो उसका हल भी प्रकृति पहले से निर्मित रखती है |आपके प्रयास से वह हल आपको मिल जाता है ,अधूरे प्रयास से नही मिलता ,जानकारी के अभाव में नहीं मिलता ,,इसका यह मतलब नहीं की हल नही है |मतलब यह होता है की आपका प्रयास पूर्ण नहीं है |इसलिए ही कहा गया है ,व्यक्ति चाह ले तो असंभव कुछ भी नहीं |[[[व्यक्तिगत विचार - ]]]......................................................................हर-हर महादेव

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