Sunday, 16 June 2019

श्री विश्वनाथाष्टकम् [Shri Vishwanahashtakam]

::::::::::श्री विश्वनाथाष्टकम् ::::::::::
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वाराणसी धाम जो स्वयं भगवान शंकर के त्रिशूल पर स्थित माना जाता है lयह विश्व की राजधानी के रूप में जग विख्यात है l यहाँ स्वयं भगवान श्री विश्वनाथ जी विराजते हैं| इनके मूल स्त्रोत्रों में " श्रीविश्वनाथष्टकम् की महिमा " अपरम्पार है l यह भक्तों के लिए कल्याणकारी मंत्र माना जाता है l इस मंत्र का श्रावण मास में पाठ करने से मनुष्य को अर्थ,काम,धर्म एबं मोक्ष की प्राप्ति होती है l जो मनुष्य स्वयं भगवान बाबा विश्वनाथजी के दर्शन,पूजन करते हैं ,उन्हें सपने में भी दुःख का अनुभव नहीं होता l
गंगातरंग--रमणीय--जटाक्लापां - गौरीनिरन्तर--विभूषित--वामभागम् l 
नारायणप्रियमनंगमदापहारं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll १ ll 
वाचामगोचरमनेक --गुणस्वरूपं -वागीश--विष्णु--सुरसेवितपादपीठम् l 
वामेन विग्रहवरेण कलत्रवन्तं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll २ ll 
भूताधिपं भुजंग--भूषण--भूषितां गं व्याध्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम् l 
पाशांकुशाभय--वरप्रद--शूलपाणिं -वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll ३ ll 
शीतांशु--शोभित--किरीट--विराजमानं -भालेक्षणानल -विशोषित--पञ्चवाणम् l 
नागाधिपा--रचित--भासुरकर्णपूरं - वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll ४ ll 
पञ्चाननं दुरितमत्व--मतंगजानां-नागान्ताकं दनुजपुंगव--पन्नगानाम् l 
दावानलं मरण-शोक-जराटवीनां वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll ५ ll
तेजोमयं सयुग-निर्गुणम द्वितीय-मानन्दकन्दमप्पराजितमप्रमेयम् l 
नागात्मकं सकल-निष्कलमात्मरूपं - वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll६ ll
रागादिदोषरहितं स्वजनानुरागं-वैराग्यशान्तिनिलयं गिरिजासहायम् l 
माधुर्य-धैर्य-सुभगं गरलाभिरामं -वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll ७ ll 
आशां विहाय परिहत्य परस्य निन्दां पापे रतिं च सुनिवार्य मनः समाधौ l 
आदाय हत्कमलमध्यगतं परेशं -वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ll८ ll 
वाराणसीपुरपतेः स्तवनं शिवस्य व्याख्यातमष्टकमिदं पठते मनुष्यः l 
विधां श्रियं विपुल-सौख्यमनन्तकीर्ति सम्प्राप्य देहविलये लभतेचमोक्षम् ll ९ ll 
विश्वनाथष्टकमिदं यः पठच्छिव सन्निधौ l शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ll १०ll 

ll इति श्री महर्षिव्यासप्रणीतं श्रीविश्वनाथष्टकम् सम्पुर्णम् ll 

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