Sunday, 16 June 2019

निर्वाणषट्कम् [Nirvana Shatakam]

:::::::::::::::::निर्वाणषट्कम् :::::::::::::::::
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मनोबुद्धयहंकार चित्तानि नाहं, न च श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 1 ।।
न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायुः, न वा सप्तधातुः न वा पञ्चकोशः ।
न वाक्पाणिपादं न चोपस्थपायु, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 2 ।।
न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ, मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः । 
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 3 ।।
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं, न मन्त्रो न तीर्थो न वेदा न यज्ञ । 
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 4 ।।
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः, पिता नैव मे नैव माता न जन्मः । 
न बन्धुर्न मित्रं गुरूर्नैव शिष्यः, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 5 ।।
अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो, विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् । 
न चासङत नैव मुक्तिर्न मेयः, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 6 ।।
..............................................................हर-हर महादेव 

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