Friday, 14 June 2019

द्वादश ज्योतिर्लिंग [Dwadash Jyotirling] कौन हैं ?


द्वादश ज्योतिर्लिंग        
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हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिव जी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़में श्री सोमनाथ श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुनउज्जैन में श्रीमहाकालॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वरपरली में वैद्यनाथडाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशङ्करसेतुबंध पर श्री रामेश्वरदारुकावन में श्रीनागेश्वरवाराणसी (काशीमें श्री विश्वनाथगौतमी (गोदावरीके तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वरहिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिङ्गों का नाम लेता हैउसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है।
शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में वर्णित कथानक के अनुसार भगवान शिव शंकर प्राणियों के कल्याण हेतु जगह-जगह तीर्थों में भ्रमण करते रहते हैं तथा लिंग के रूप में वहाँ निवास भी करते हैं। कुछ विशेष स्थानों पर शिव के उपासकों ने महती निष्ठा के साथ तन्मय होकर भूतभावन की आराधना की थी। उनके भक्तिभाव के प्रेम से आकर्षित भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया तथा उनके मन की अभिलाषा को भी पूर्ण किया था। उन स्थानों में आविर्भूत (प्रकटदयालु शिव अपने भक्तों के अनुरोध पर अपने अंशों से सदा के लिए वहीं अवस्थित हो गये। लिंग के रूप में साक्षात भगवान शिव जिन-जिन स्थानों में विराजमान हुएवे सभी तीर्थ के रूप में महत्त्व को प्राप्त हुए।इनके बारे में विवरण हम अपने अगले अंकों में दे रहे हैं |....[ अगला अंक -प्रथम ज्योतिर्लिंग -सोमनाथ  ].............................................हर हर महादेव

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