ध्यान का लाभ
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ध्यान हमारे तन, मन और आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता
है। स्वयं को पाना है तो ध्यान जरूरी है। वहीं एकमात्र विकल्प है। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक
शक्ति बढ़ती है। आत्मिक शक्ति से मानसिक शांति की अनुभूति होती है। मानसिक शांति
से शरीर स्वस्थ अनुभव करता है। ध्यान के द्वारा हमारी उर्जा केंद्रित होती है।
उर्जा केंद्रित होने से मन और शरीर में शक्ति का संचार होता है एवं आत्मिक बल
मिलता है। ध्यान से विजन
पॉवर बढ़ता है तथा व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। ध्यान से
सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। ध्यान से हमारा तन, मन और मस्तिष्क पूर्णत: शांति,स्वास्थ्य और
प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
ध्यान से हर तरह का भय जाता रहेगा। चिंता और चिंतन से उपजे रोगों का खात्मा होगा।
शरीर में शांति होगी तो स्वस्थ अनुभव करेंगे। कार्य और व्यवहार में सुधार होगा।
रिश्तों में तनाव की जगह प्रेम होगा। दृष्टिकोण सकारात्मक होगा। सफलता के बारे में
सोचने मात्र से ही सफलता आपके नजदीक आने लगेगी। ध्यान से वर्तमान को देखने और समझने में मदद मिलती है। शुद्ध रूप से देखने
की क्षमता बढ़ने से विवेक जाग्रत होगा। विवेक के जाग्रत होने से होश बढ़ेगा। होश
के बढ़ने से मृत्यु काल में देह के छूटने का बोध रहेगा। देह के छूटने के बाद जन्म
आपकी मुट्ठी में होगा। यही है ध्यान का महत्व।
खुद तक पहुंचने का एक
मात्र मार्ग ध्यान ही है। ध्यान को छोड़कर बाकी सारे उपाय प्रपंच मात्र है। यदि
आप ध्यान नहीं करते हैं तो आप स्वयं को पाने से चूक रहे हैं। स्वयं को पाने का
अर्थ है कि हमारे होश पर भावना और विचारों के जो बादल हैं उन्हें पूरी तरह से हटा देना
और निर्मल तथा शुद्ध हो जाना। ज्ञानीजन कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ पा लेने की लिस्ट में सबमें ऊपर
स्वयं को रखो। मत चूको स्वयं को। 70साल सत्तर सेकंड की तरह बीत जाते हैं। योग का लक्ष्य यह है कि किस तरह वह
तुम्हारी तंद्रा को तोड़ दे इसीलिए यम, नियम, आसन, प्राणायम, प्रत्याहार और धारणा को ध्यान तक पहुँचने की सीढ़ी बनाया है।
शोर और प्रदूषण के
माहौल के चलते व्यक्ति निरर्थक ही तनाव और मानसिक थकान का अनुभव करता रहता है।
ध्यान से तनाव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। निरंतर ध्यान करते रहने से जहां
मस्तिष्क को नई उर्जा प्राप्त होती है वहीं वह विश्राम में रहकर थकानमुक्त अनुभव
करता है। गहरी से गहरी नींद से भी अधिक लाभदायक होता है ध्यान। आपकी चिंताएं कम हो जाती हैं। आपकी
समस्याएं छोटी हो जाती हैं। ध्यान से आपकी चेतना को लाभ मिलता है। ध्यान से आपके
भीतर सामंजस्यता बढ़ती है। जब भी आप भावनात्मक रूप से अस्थिर और परेशान हो जाते
हैं, तो ध्यान आपको भीतर से
स्वच्छ, निर्मल और शांत करते
हुए हिम्मत और हौसला बढ़ाता है।
ध्यान से जहां शुरुआत
में मन और मस्तिष्क को विश्राम और नई उर्जा मिलती है वहीं शरीर इस ऊर्जा से स्वयं
को लाभांवित कर लेता है। ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण
शक्ति का संचार होता है। शरीर में प्राण शक्ति बढ़ने से आप स्वस्थ अनुभव महसूस करते
हैं। ध्यान से उच्च
रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता का
विकास होता है, जोकि किसी भी
प्रकार की बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण है। ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती
है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है।
जो व्यक्ति ध्यान
करना शुरू करते हैं, वह शांत
होने लगते हैं। यह शांति ही मन और शरीर को मजबूती प्रदान करती है। ध्यान आपके होश
पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वर्तमान में खड़ा कर
देता है। ध्यान से काम, क्रोध, मद, लोभ और आसक्ति आदि सभी विकार समाप्त हो जाते हैं। निरंतर साक्षी भाव में
रहने से जहां सिद्धियों का जन्म होता है वहीं सिद्धियों में नहीं उलझने वाला
व्यक्ति समाधी को प्राप्त लेता है।
ध्यान से भरपूर लाभ
प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है। ध्यान करने में ज्यादा समय की
जरूरत नहीं मात्र पांच मिनट का ध्यान आपको भरपूर लाभ दे सकता है बशर्ते की आप
नियमित करते हैं। यदि ध्यान आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है तो यह आपके दिन का
सबसे बढ़िया समय बन जाता है। आपको इससे आनंद की प्राप्ति होती है। फिर आप इसे पांच
से दस मिनट तक बढ़ा सकते हैं। पांच से दस मिनट का ध्यान आपके मस्तिष्क में शुरुआत
में तो बीज रूप से रहता है, लेकिन 3 से 4 महिने बाद यह वृक्ष का आकार लेने लगता है और फिर उसके परिणाम आने शुरू हो
जाते हैं।.....................................................................हर-हर महादेव
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