Sunday, 25 March 2018

बिंदु त्राटक


:::::::::::::::::::::बिंदु त्राटक ::::::::::::::::::;;
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बिंदु त्राटक ,त्राटक साधना में बाह्य साधना का प्रथम चरण है ,जिसके द्वारा त्राटक की शुरुआत की जाती है ,यद्यपि किसी भी फूल,वास्तु पर आँखों को एकाग्र कर सामान क्रिया की जा सकती है ,पर यह एक सुनियोजित साधना है जिसमे तीन चरण होते हैं |बिंदु त्राटक से साधक में ऐसी शक्ति आ जाती है की वह अपने विचारों को दूसरों के मन में पहुंचा सके ,इससे वह व्यक्ति साधक के वशीभूत हो जाता है ,उसकी ईच्छानुसार वह कार्य करने लगता है [यद्यपि इसमें कुछ तकनिकी का प्रयोग किया जाता है ],बिंदु त्राटक की सफलता पर किसी के मन के विचारों को पढ़ा जा सकता है |अपने और दुसरे के जीवन में घटने वाली घटनाओं साधक के समक्ष खुलने लगती हैं ,,सबसे बड़ी खूबी इसमें यह है की किसी भी मंत्र -अनुष्ठान के बिना ही यह आभासी ज्ञान ,वशीकरण की शक्ति ,प्रभावशालिता ,ओजतेज और अतीन्द्रिय शक्ति प्रदान करता है |
एक वर्गाकार एक फुट का ड्राइंग कागज़ ले लें ,इसके मध्य तीन इंच व्यास का एक वृत्त बना लें ,इस वृत्त को काली स्याही से रंग लें ,ध्यान दें स्याही सामान हो सब जगह |अब इस ड्राइंग कागज़ को बोर्ड पर चिपकाकर दीवार पर टांग लें |इसे इस प्रकार टाँगे की जब आप बैठें तो यह बिलकुल आपकी आँखों की सीध में आये ,ऊपर या नीचे नहीं ,ताकि देखने में असुविधा न हो |अब हलकी सी रौशनी में तीन फीट की दूरी पर सुखासन में अर्थात पालथी मारकर बैठ जाएँ |इसके लिए रात्री का समय ,शांत वातावरण और सब कार्यों से मुक्ति का चिंतामुक्त समय सबसे अधिक उपयुक्त है |
अब यथा प्रयास मन को एकाग्र कर बोर्ड पर टंगे ड्राइंग पेपर के मध्य वाले काले वृत्त के मध्य दृष्टि जमा लें |आँखों से पानी आये तो कुछ देर आँखें बंद कर लें ,पुनः आँखें खोलकर उस आकृति को टकटकी लगाकर देखना प्रारम्भ करें ,मन की एकाग्रता टूटने न दें ,न बाहरी विचारों को मन में आने दें |एकाग्रता बढने पर काली आकृति गायब हो सकती है कुछ कुछ देर के लिए ,उसके स्थान पर चमकीली आकृति उभर सकती है ,ध्यान लगातार इन बदलती आकृतियों पर ही जमी रहे |ध्यान पूर्णतः केन्द्रित होने पर काला वृत्त पूर्णतः गायब हो जायेगा ,उसके स्थान पर उसमे से तेजस्वी किरने निकलती दिखेंगी ,ऐसा लगेगा की वृत्त नहीं अपितु प्रातः कालीन प्रभा युक्त सूर्य को देख रहे हों |यह एक संकेत है की इस समय आपके मन से सम्पूर्ण बाहरी विचार हट चुके हैं ,यह स्थिति शुरू में बहुत कम समय के लिए होती है ,पर एकाग्रता बढने के साथ इसका समय बढ़ता जाता है |बहिर्मन के सक्रीय होते ही काला वृत्त फिर दीखता है ,,हताश होने की आवश्यकता नहीं है ,प्रयास लगातार जारी रखें ,बार बार ऐसा होगा ,अभ्यास बढने के साथ चमकीली आकृति का ठहराव बढ़ता जायेगा |यह अभ्यास नित्य १५ मिनट से अधिक न करें |अंत में उठकर ठाडे पानी से आँखों को धो लें ,कारण इस अभ्यास से आँखों की गर्मी बढ़ जाती है |इस अभ्यास को ५१ दिन तक लगातार बिना नागा के करें |
५१ दिन बाद एक दूसरा ड्राइंग पेपर लेकर उस पर डेढ़ इंच अर्थात पूर्व से आधे व्यास का कला वृत्त बनायें ,इसे भी काले रंग से रंग लें ,इसके चारो और छोटी छोटी २४ रेखाए इस प्रकार से खींचें की लगे की सूर्य से किरने निकल रही हों |रेखाएं वृत्त के केंद्र से खींचे और इन्हें वृत्त के बाहर २ इंच तक रखें |अब इस आकृति को पहले के सामान बोर्ड पर चिपकाकर पहले की तरह ही टांग लें और अब अगले ५१ दिन तक इस पर अभ्यास करें |इसमें भी पूर्व की स्थितिया आएँगी ,कभी वृत्त गायब होगा ,कभी चमकीला ,कभी रेखाएं काली कभी चमकीली कभी कुछ काली कुछ चमकीली |इस प्रयोग को नित्य १५ मिनट से अधिक न करें ,समय का ध्यान रखने के लिए अलार्म घडी का प्रयोग किया जा सकता है |
अब अंतिम चरण आता है ,पूर्व की तरह ड्राइंग पेपर लेकर मध्य में काला बिंदु बनायें जो आकार में काली मिर्च जितना हो |इसे भी पूर्व के सामान दीवार पर लटका दें |वाही आसन ,वाही समय ,वाही वातावरण हो ,इस बिंदु पर दृष्टि जमायें |कुछ समय बाद यह काला बिंदु गायब हो जायेगा ,फिर भी आप अपनी दृष्टि उस बिंदु पर जमाये रखें ,यह बिंदु आपके साथ आंखमिचौली जैसा खेल खेलने लगेगा |बार बार गायब होने और प्रकट होने का अर्थ है बीच बीच में मन की एकाग्रता नष्ट हो रही है ,पर प्रयास जारी रखें ,कुछ देर बाद आपको महसूस होगा बिंदु का आकार बढ़ रहा है ,पर यह स्थिति थोड़ी देर ही रहेगी ,फिर यह बिंदु आधा ही रह जाएगा लेकिन लुप्त नहीं होगा ,बल्कि सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप ग्रहण करता  जाएगा ,मन उतना ही एकाग्र होता जाएगा |इसके साथ साधक में अतीन्द्रिय मानसिक शक्ति का विकास होता जाएगा |................................................................हर-हर महादेव 

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