Sunday, 25 March 2018

अतीन्द्रिय शक्ति क्या है [भाग-२]


अतीन्द्रिय शक्ति और उसकी पृष्ठभूमि [भाग-]
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अतीन्द्रिय क्षमता विकसित करने का एक क्रमबद्धविज्ञान है-योग। आज तो हर क्षेत्र में नकली ही नकलीकी भरमार है। नकली योग भी इतना बढ़ गया है किउस घटाटोप में से असली को ढूंढ़ निकलना कठिनपड़ रहा है। तो भी तथ्य अपने स्थान पर यथावत्अडिग है। यदि अन्तःचेतना पर चढ़े हुए कषाय-कल्मषों को प्रयत्नपूर्वक धो डाला जाए तोआत्मसत्ता की प्रखरता जग पड़ेगी और उसके साथ-साथ ही अतीन्द्रिय परोक्षानुभूतियों होने लगेंगी।अप्रत्यक्ष भी प्रत्यक्षवत् परिलक्षित होने लगेगा।
प्रयत्नपूर्वक आत्मबल को बढ़ाना और सिद्धियों केक्षेत्र में प्रवेश करना यह एक तर्क और विज्ञानं सम्मतप्रक्रिया है किन्तु कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कितने ही व्यक्तियों में इस प्रकार की विशेषताएँ अनायास हीप्रकट हो जाती है। उन्होंने कुछ भी साधन या प्रयत्न नहीं किया तो भी उनमें ऐसी क्षमताएँ उभरी जो अन्य व्यक्तियों मेंनहीं पाई जाती। असामान्य को ही चमत्कार कहते हैं। अस्तु ऐसे व्यक्तियों को चमत्कारी माना गया। होता यह है किकिन्हीं व्यक्तियों के पास पूर्व संबंधित ऐसे संस्कार होते हैं जो परिस्थितिवश अनायास ही उभर आते हैं। वर्षा के दिनोंअनायास ही कितने पौधे उपज पड़ते हैंवस्तुतः उनके बीज जमीन में पहले से ही दवे होते हैं। यही आत उन व्यक्तियोंके बारे में कही जा सकती है जो बिना किसी प्रकार की अध्यात्म साधनाएँ किये ही अपनी अलौकिक क्षमताओं कापरिचय देते हैं।
भविष्य दर्शन की विशेषता को अतीन्द्रिय क्षमता के अंतर्गत ही गिना जाता है। इस विशेषता के कारण संसार भर मेंजिन लोगों ने विशेष ख्याति प्राप्त की है उनमें एन्डरसन सेमवेंजोनपीटर हरकौसहेंसक्रेजर आदि के नाम पिछलेदिनों पत्र-पत्रिकाओं के पृष्ठों पर छाये रहे हैं।
प्रथम विश्व युद्ध के दिनपहली नवम्बर-आठ वर्षीय एन्डरसन घर की बैठक में खेल रहा था। सहसा वह रुका। माँ केपास पहुँचा और उसका हाथ पकड़ उसे बैठक में ले गयाजहाँ उसके भाई नेल्सन की फोटो लगी थी। नेल्सन कनाडा कीसेना का कप्तान था और मोर्चे पर था। एन्डरसन ने भाई की फोटो की और संकेत करते हुये माँ से कहा-माँदेखो तो,भैया के चेहरे पर बन्दूक की गोली लग गई है और वे जमीन गिर कर मर गये है।”
चुप मूर्खऐसी अशुभ बात तेरे दिमाग में कहाँ से आईअब कभी ऐसे कुछ  बोलना ऐसा सोचा करो।” माँ नेझिड़का। पर एन्डरसन तो अपनी बात पर जिद-सी करने लगा। इस घटना के दो-तीन दिन बाद जब तार आया कि-1नवम्बर 1918 को गोली लगने के कारण नेल्सन की मृत्यु हो गई है।” तो पूरा परिवार शोक में डूब गया। पर एन्डरसनकी बातें याद कर वे सब विस्मय से भी भर उठे।
इसके बाद तो मुहल्ले-पड़ोस में उसने कई बार ऐसी भविष्य संबंधी बातें बताईं कि लोग उसे सिद्ध भविष्यवक्ता’ माननेलगे। घर वालों ने उसका ध्यान बँटाने के लिए उसे शीघ्र ही एक खान की नौकरी में लगा दिया। पर थोड़े ही दिनों मेंएन्डरसन ने यह कहते हुए इस नौकरी को छोड़ दिया कि-मैं उन्मुक्त आत्मा हूँ। योग के संस्कार मुझ में है। निरन्तरआत्म-परिष्कार ही मेरा लक्ष्य है। भौतिक परिस्थितियों से पैसे रुपयों के लोभ से मैं बँधा नहीं रह सकता?इसके बाद एन्डरसन व्यापारी जहाजों द्वारा विश्व भ्रमण के लिए निकल पड़ा,,इसी बीच उसने अपने शरीर काव्यायामयोगाभ्याससंयम और परिश्रम द्वारा विकास कर अतुलित बल अर्जित किया। लोहे की छड़ कन्धे पर रखउसने 15=20 व्यक्तियों तक को लटका कर चल फिर लेनाकार उठा लेनाशक्तिशाली गतिशील मोटर को हाथ से रोकदेनाउन्मत्त और क्रुद्ध सांडों को पछाड़ देना आदि के करतब उसके लिए मामूली बात हो गई। उसने इनके सफलप्रदर्शन किये और ख्याति पाई,,लोग कहने लगे कि यह कोई पूर्व जन्म का योगी है,पूर्व जन्म में किये गये योगाभ्यास का प्रभाव और प्रकाश इसमेंअब भी शेष है। 60 वर्ष से अधिक की आयु में भी एन्डरसन लोहे की नाल दानों हाथ से पकड़ कर सीधी कर देते हैं।शारीरिक शक्ति के साथ ही उन्होंने अतीन्द्रिय सामर्थ्य भी विकसित की और वे जीन डिक्सन कीरों तथा टेनीसन से भीअधिक सफल भविष्यवक्ता माने जाते हैं। एन्डरसन भारत आकर योग एवं ज्योतिष संबंधी ज्ञान प्राप्त करना चाहतेहैं। यद्यपि उनकी यह आकांक्षा परिस्थितियों वश पूर्ण नहीं हो सकी है।.....................................................................हर-हर महादेव 

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