त्राटक ::ध्यान केन्द्रीकरण और उसके अद्भुत लाभ
=================================
संसार में अनेक प्रकार की अद्भुत -अलौकिक साधनाएं हैं ,उन सबके मूल में है मन ,मन की शक्ति असीम है -अगाध है ,कोई भी ऐसा
कार्य नहीं है जिसे मन की शक्ति विक्सित कर संपन्न न कर सके |मन की शक्ति बढाने का साधन है उसकी एकाग्रता बढ़ाना |यदि मन को एकाग्र कर पाने की स्थिति आ जाए तो किसी के विचारों को जान लेना, उसके विचारों को पढ़ लेना ,दूर की अदृश्य
घटनाओं की जानकारी पा लेना सामान्य बात हो जाती है |इसमें सफलता
प्राप्त हो जाने पर आँखों और मन-मष्तिष्क को एक
अतीन्द्रिय शक्ति प्राप्त हो जाती है |ऐसा व्यक्ति यदि
किसी को पांच क्षण भी देख ले तो वह वशीभूत हो जाता है |मन मष्तिष्क को एकाग्र करने का साधन त्राटक है |
किसी निश्चित लक्ष्य पर मष्तिष्क को
एकाग्र करना त्राटक है ,अर्थात अपने ध्यान को एक लक्ष्य पर केन्द्रित
करना त्राटक है ,,त्राटक तीन प्रकार का होता है, बाहरी त्राटक ,आतंरिक त्राटक और मध्य त्राटक ,,
खुली आँखों से किसी वस्तु यथा फूल ,चित्र ,प्रतिमा ,व् दीपक की लौ अथवा सूर्य-चन्द्रमा या तारे इत्यादि को एकटक अपलक आँखों से
देखना बाहरी त्राटक कहलाता है |यह
बाह्य त्राटक शीघ्र प्रभावी परन्तु आँखों पर ज्यादा जोर पड़ने से कष्टकारी माना
जाता है |सामान्य आँखों वाले
व्यक्ति ही इस त्राटक को करने के पात्र हैं ,इसलिए किसी जानकार व्यक्ति के निर्देशन में ही इसका प्रयोग किया जाना
चाहिए |
दोनों आँखों को बंद करने के पश्चात् भ्रूमध्य ,नासिका का अग्र भाग ,नाभि व् ह्रदय स्थल को चक्षुवृत्ति की भावना मन में करके ध्यान करना ,आतंरिक त्राटक कहलाता है |इससे अपने ईष्ट या ॐ तथा सूर्य की कल्पना की
जाती है |यह काफी समय में पुष्ट
होता है किन्तु सर्वाधिक प्रभावकारी होता है|
किसी मूर्त वस्तु अथवा किसी काले धब्बे को टकटकी लगाकर देखने
की प्रक्रिया को मध्य त्राटक कहते हैं |इस त्राटक से साधक शीघ्र ही अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में कामयाब हो
जाता है |
त्राटक की सफलता पर व्यक्ति में ऐसी शक्ति आ जाती है की वह अपने विचारों
को दूसरों के मन में पहुंचा सके ,,दुसरो
को वशीभूत कर सके ,,वशीभूत से
इच्छानुसार कार्य करा सके ,किसी के
मन के विचारों को पढ़ सके ,,किसी के
जीवन की घटनाएं पढ़ सके ,किसी भी
ईष्ट को अति शीघ्र सिद्ध कर सके ,दूसरों
के मन और सोच में बदलाव ला सके आदि-आदि
........................................[क्रमशः ].........................................................हर-हर महादेव
No comments:
Post a Comment