Sunday, 25 March 2018

मुद्रा चिकित्सा रहस्य एवं प्रयोग


मुद्रा चिकित्सा रहस्य एवं प्रयोग
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सम्पूर्ण प्रकृति और हमारा शरीर पांचतत्वों से बना हैमानव शरीर लघुब्रह्माण्ड स्वरूप हैसम्पूर्ण ब्रह्माण्ड काप्रतीक यह मानव-शरीर भी ब्रह्माण्ड केसमान ही पांच तत्वों (अग्निवायु,आकाशपृथ्वीजलके योग से बनाहैमुद्रा विज्ञान का आधारभूत सिद्धांतयह है कि शरीर में इन पंच तत्वों मेंअसंतुलन से रोगोत्पत्ति होती है तथापंच तत्वों में समता  सन्तुलन होने सेहम स्वस्थ रहते हैंस्वस्थ शब्द को यहां शारीरिकमानसिक और आध्यात्मिक संदर्भों में स्वयंमें अपनी प्रकृति में स्थित रहने से लेना चाहिए|
 मानवशरीर प्रकृति की सर्वोत्तम रचना है और हाथ सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग हैहाथों में सेएक विशेष प्रकार की प्राण-ऊर्जा या शक्ति विद्युत तरंगें/जीवनी शक्ति (र्ईीरनिरंतर निकलतीरहती हैविभिन्न प्रकार की रहस्यमयी चिकित्साओं में हाथों के संस्पर्श मात्र से नीरोगी बनाने केपीछे यही ऊर्जा छिपी है|
 भारतीय मनीषियों के अनुसारमानव-हस्त की पांचों उंगलियां अलग-अलग पंच तत्वों काप्रतिनिधित्व करती हैं और प्रत्येक उंगली का संबंध एक तत्व विशेष से हैआधुनिक विज्ञान भीमानता है कि प्रत्येक उंगली के सिरे से अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा तरंगें (इलेक्ट्रो मैगनेटिकवेव्सनिकलती रहती हैप्राचीन भारतीय ऋषियों की अद्भुत खोज मुद्रा-विज्ञान के अनुसार पंचतत्वों की प्रतीक उंगलियों को परस्पर मिलानेदबानेमरोड़ने या विशेष प्रकार की आकृति बनानेसे विभिन्न प्रकार के तत्वों में परिवर्तनअभिव्यक्तिविघटन एवं प्रत्यावर्तन होने लगता है|दूसरे शब्दों मेंउंगलियों की सहायता से (बनाई जानेवाली विभिन्न मुद्राओं द्वाराइन पंच तत्वोंको इच्छानुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता हैकौन-सी उंगली किस तत्व का प्रतिनिधित्व करतीहै,|
 अंगूठाअग्नि
तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) = वायु 
मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली) = आकाश
अनामिका (चौथी उंगली) = पृथ्वी
कनिष्ठिका (सबसे छोटी उंगली) = जल ...................................................हर-हर महादेव 


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