Sunday, 7 October 2018

भैरवी विद्या के साधना सूत्र और इसकी सफलता [Success of Bhairavi Sadhna]


भैरवी विद्या के साधना सूत्र
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क्यों अधिक सफल होती है भैरवी साधना
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भैरवी विद्या की विशेषता है की यह प्रकृति के अनुकूल है |यही इसकी अधिकतम सफलता का कारण होता है |अन्य सभी प्रकार की साधनाओं में अनेकानेक वर्जनाएं और रोक टोक होते हैं पर भैरवी साधना में बिलकुल प्राकृतिक साधना की जाती है |अतः यह त्वरित परिणाम देती है और शीघ्र सफलता |
यह प्रकृति या सृष्टि दो धाराओं की रति से उत्पन्न है ,और उत्पन्न हो रहा है |इसीलिए हर वस्तु में धनात्मक और ऋणात्मक का समावेश होता है |नर और मादा होते हैं |उभयलिंगी में भी दो तरह के गुण समाविष्ट होते ही हैं |भैरवी तंत्र या भैरवी विद्या इसी सूत्र पर चलता है |यह रति को ही आधार बनाता है जो सृष्टि का कारण है |रति से ही सृष्टि होती है तो रति से ही सृष्टिकर्ता को भी पाया जा सकता है |यह भैरवी विद्या का आधार सूत्र है |
सभी रति को लालायित रहते हैं |इससे ही सबकुछ नया उत्पादित होता है ,सृष्टि होती है |इस रति में ही सबसे अधिक ऊर्जा क्षय भी होती है और सबसे अधिक महसूस  भी होती है |जब कामभाव उत्पन्न होता है तो इतनी ऊर्जा उत्पन्न होती है की व्यक्ति विचारशून्य होने लगता है ,दिमाग से नियंत्रण हटने लगता है |कभी कभी तो व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता विलुप्त हो जाती है |यह ऊर्जा के ही कारण होता है भले उसकी दिसा सही नहीं हो पर होती ऊर्जा ही है |क्षरित होते ही सब ठिकाने पर आ जाता है और गलतियाँ भी दिखने लगती हैं जो वेग में समझ नहीं आती |भैरवी विद्या इसी कामावेग को नियंत्रित कर एक निश्चित दिशा देने का मार्ग है |अधिकतम कामावेग उत्पन्न कर उसको नियंत्रित करने का मार्ग है |सृष्टि उत्पन्न करने वाली ऊर्जा को अधिकतम बढाकर उसे सृष्टिकर्ता की दिशा में मोड़ने और पाने का मार्ग है |चुकी यह प्रकृति प्रदत्त है अतः पूर्ण प्राकृतिक है |पूर्ण प्राकृतिक होने से किसी अतिरिक्त प्रयास के बिना सफलता देता है इसलिए अधिक सफल है |...........................................................हर-हर महादेव  

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