::::::::प्रदोष व्रत [त्रयोदशी व्रत ].::::::::
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त्रयोदशी व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती की कृपा प्राप्ति हेतु किया जाने वाला व्रत है ,इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है ,,सायंकाल के पश्चात और रात्री आने से पूर्व दोनों के बीच का जो समय होता है ,उसे प्रदोष कहते है ,,प्रदोष व्रत समस्त कामनाये पूर्ण करने वाला व्रत है ,,इसे अखंड सौभाग्य प्राप्ति ,बंधन मुक्ति ,सुख प्राप्ति ,शान्ति प्राप्ति ,पापों के नाश ,रोग नाश ,संतान प्राप्ति ,आयु-आरोग्यता प्राप्ति ,शत्रु विनाश ,अभीष्ट सिद्धि हेतु किया जाता है |
प्रत्येक वार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का माहात्म्य अलग होता है ,कितु प्रदोष व्रत करने वाले लोगो को ग्यारह त्रयोदशी या पुरे साल की २६ त्रयोदशी पूर्ण करने के बाद उद्यापन करना चाहिए ,,,,वार के अनुसार रवि प्रदोष का व्रत करने से आयु-आरोग्यता मिलती है ,,सोम प्रदोष का व्रत करने से अभीष्ट सिद्धि प्राप्त होती है ,,मंगल प्रदोष का व्रत करने से रोगों से मुक्ति और स्वाश्य लाभ मिलता है ,,बुध प्रदोष का व्रत करने से सर्व कामना सिद्धि होती है ,,वृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु विनाश होता है ,,शुक्रवार के व्रत से सौभाग्य -संमृद्धि -स्त्री की प्राप्ति होती है ,,और शनि प्रदोष का व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति होती है ,,प्रदोष के दिन जो वार पड़े उस वार के अनुसार कथा पढनी और सुनानी चाहिए |
व्रत की समाप्ति पर उद्यापन हेतु मंडप बना शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजन करे ,हवंन खीर से करे ,फिर आरती ,शान्ति पाठ करे ,,दो ब्राह्मणों को भोजन करा उनसे आशीर्वाद ले की आपका व्रत सफल हो ,यह वचन दोनों ब्राह्मण कहे |
प्रदोष व्रत वाले दिन भोजन न करे ,अति आवश्यक होने पर फलाहार ले ,शाम में शुद्ध-स्वच्छ हो पूजन करे ,इस दिन नमक का परित्याग करे ,,,जो स्त्री-पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते है ,उनकी सभी कामनाये देवाधिदेव महादेव पूरी करते है ..............................................................हर-हर-महादेव
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