Tuesday, 16 July 2019

रावण कृत शिव ताण्डव स्तोत्रम [Shiv Tandav Stotram]

::::रावणकृतशिवताण्डवस्तोत्रम::::::
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जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले, गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम् ||
डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं, चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. ||

जटा-कटा-हसं-भ्रमभ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी--विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि .||
धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. ||

धरा-धरेन्द्र-नंदिनीविलास-बन्धु-बन्धुर स्फुर-द्दिगन्त-सन्ततिप्रमोद-मान-मानसे .||
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. ||

जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणिप्रभा कदम्ब-कुङ्कुम-द्रवप्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे ||
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. ||

सहस्रलोचनप्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः ||
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. ||

ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा- निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम् ||
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. ||

कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वलद्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके ||
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक -प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम …|| 

नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत् कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः ||
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. ||

प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा--वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .||
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. ||

अखर्वसर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम् .||
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकंगजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. ||

जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट्||
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गलध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः .. ||

दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः .||
तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोःसमप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे ..|| 

कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन्विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .||
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकःशिवेति मंत्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. ||

इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवंपठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम् .||
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिंविमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ..|| 

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यःशंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे .||
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तांलक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. ||

……………………………………………………………………..हर-हर महादेव

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