Tuesday, 16 July 2019

शिव की पूजा शिव बनकर करें

शिव बनकर शिव की पूजा करे
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      कल्याणकारी शिव को प्रसन्न करने के लिए मनुष्य को शिव के अनुरूप ही बनन पड़ता है ,शिव अर्थात शुभ ,शंकर अर्थात कल्याण करने वाले ,,,शंकर के ललाट पर स्थित चंद्र शीतलता और संतुलन  का प्रतीक है ,यह विश्व कल्याण का प्रतीक और सुंदरता का पर्याय है ,सर पर बहती गंगा अविरल प्रवाहित पवित्रता का प्रतीक है ,यद्यपि यह उस ब्रह्मांडीय उर्जा का भी प्रतिनिधित्व करता है जिसके गूढ़ निहितार्थ है ,,तीसरा नेत्र विवेक का प्रतीक है अर्थात विवेक से कामनाओं के कामदेव को नष्ट किया जा सकता है ,,गले में सर्पो की माला दुष्टों को भी गले लगाने की क्षमता और कानो में बिच्छू -बर्र के कुंडल कटु और कठिन शब्द सहने के परिचायक है |मृगछाल निरर्थक वस्तुओ का सदुपयोग करने और मुंडो की माला जीवन की अंतिम अवस्था की वास्तविकता को दर्शाती है |भष्म लेपन शरीर की अंतिम परिणति को दर्शाता है |भगवन शिव के अंतस का यह तत्वज्ञान शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता की और संकेत करता है |शिव को नीलकंठ कहते है क्योकि इन्होने विश्व को बचाने के लिए विष पी लिया ,,इन्हें चढने वाले विल्वपत्र के तीन पत्रों लोभ -मोह -अहंकार के प्रतीक है जिन्हें विसर्जित करना उत्तम रहता है ,,शिव के गुणों को याद रख तदनुरूप स्वयं को परिवर्तित कर पूजा करने से शिव तत्त्व की प्राप्ति और कृपा संभव है ........................................................हर-हर महादेव

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