Sunday, 7 July 2019

पारदेश्वर प्रयोग

:::::::::::पारदेश्वर प्रयोग :::::::::::
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विदेश जाने ,रोजगार पाने ,भाग्योदय करने ,सर्व दोषों का शमन करने ,सर्व पापों का निवारण करने ,सफलता प्राप्त करने ,ग्रह बाधा ,पित्र दोष ,वायव्य बाधा ,अभिचार बाधा का निवारण करने के लिए अति उत्तम प्रयोग |आपका भाग्य साथ न दे रहा हो ,किसी भी कार्य में सफलता न मिल रही हो ,विदेश जाना चाहते हों ,रोजगार ?नौकरी पाना चाहते हों तो यह शक्ति शाली प्रयोग आपके लिए बहुत लाभदायक होगा |
सामग्री :-- मंत्र सिद्ध चैतन्य -प्राण प्रतिष्ठित शुद्ध पारद शिब लिंग ,मंत्र सिद्ध चैतन्य रुद्राक्ष या स्फटिक या पारद माला ,देशी घी का दीपक ,विल्वपत्र ,गंगा जल ,आक -धतूरे के पुष्प ,पंचामृत ,लकड़ी का बाजोट [चौकी ], सफ़ेद चन्दन ,थाली ,फल-फूल ,दूध ,धुप-दीप-अगरबत्ती ,काले रंग का उनी आसन ,पीले रंग की धोती ,
मंत्र :-- || ॐ ह्रीं ॐ हूँ सर्व पापत्मने सर्व दोष निवृत्तये हूँ हूँ हूँ ॐ फट ||
साधना विधि :-- यह प्रयोग किसी भी माह के कृष्ण पक्ष के सोमवार से प्रारम्भ किया जा सकता है |प्रातःकाल स्नानादी से शुद्ध हो पीले रंग की धोती धारण करें ,उनी काले आसन पर पश्चिम दिशा की और मुहकर बैठें |सामने लकड़ी के बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछा थाली रखे ,और सफ़ेद चन्दन से थाली में ॐ नमः शिवाय अंकित कर उस पर मंत्र सिद्ध चैतन्य प्राण प्रतिष्ठित पारद शिवलिंग स्थापित करें |अब शिवलिंग को पंचामृत ,गंगाजल से स्नान करवाएं ,सफ़ेद चन्दन लगायें ,धुप-दीप करें ,आक-धतूरे के पुष्प -सफ़ेद पुष्प -विल्वपत्र अर्पित करें अर्थात विधिवत पूजन करें |
अब मंत्र सिद्ध चैतन्य उपर बताये गए माला में से कोई लेकर उपरोक्त मंत्र का रोज ११ माला जप २१ दिनों तक धीमे अस्फुट स्वरों और धीमी गति से पूर्ण नाद के साथ करें |प्रयोग समाप्ति पर २२ वे दिन हवन करें और फिर पारद शिवलिंग को घर के पूजा स्थान में स्थापित करदें |जिस माला से जप किया है उसे अपने गले में धारण करें |शेष पूजन सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर दें |इस प्रकार से यह चमत्कारी प्रयोग भली भाँती संपन्न हो जाता है |यद्यपि मंत्र का पूर्ण अनुष्ठान १२५००० मन्त्रों का जप है किन्तु २१ दिन तक ११०० रोज करने से भी सफलता मिल जाती है |इस महा शक्तिशाली प्रयोग को करने से भगवान महाकाल की कृपा प्राप्त होती है और प्रभु की कृपा से साधक की भाग्य उन्नति के स्वर्णिम द्वार खुल जाते हैं और विदेश जाने की संभावनाएं बनने लगती हैं |ग्रह दोष, पित्र दोष, अभिचार दोष, वायव्य दोष का शमन होता है और सकारात्मक धनात्मक ऊर्जा का संचार बढने से प्रत्येक कार्य में सफलता बढ़ जाती है |साधना पूर्णता और बिना त्रुटी के सम्पन्नता हेतु योग्य का मार्गदर्शन अवश्य लें क्योंकि तांत्रिक साधना है और गलती पर काम बिगड़ सकते हैं |साधना की सफलता और संभावित विघ्न-बाधा निवारण के लिए सुरक्षा कवच जरुर धारण किये रहें |...........................................................हर-हर महादेव

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