सामान्य
किन्तु साहसी लोगों के लिए
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महाकाली इस ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च
शक्ति ,जिसका नाम सुनकर भी बहुत से लोगों में भय व्याप्त हो जाता है |इनकी साधना
,उपासना कम लोग करते हैं क्योकि डरते हैं इनसे और मानते हैं की यह केवल तांत्रिकों
की देवी हैं |कुछ लोग कहते हैं की महाकाली की तस्वीर और मूर्ती घर में नहीं रखनी
चाहिए तो कुछ कहते हैं की इनकी उपासना गृहस्थों को नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह
विनाश की देवी हैं ,यह श्मशान वासिनी हैं |यह सब सत्य नहीं है ,यह समस्त
ब्रह्माण्ड में व्याप्त मूल शक्ति हैं जिनके बिना तो शिव भी शव समान हैं |यह
श्मशान में ही नहीं समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त हैं ,यहाँ तक की आपके शरीर में
सबसे मुख्य चक्र का अधिपत्य इन्हें प्राप्त है और सबसे पहले यही चक्र भ्रूण में
बनता भी है |यही नव दुर्गा हैं और यही दस महाविद्या हैं |नव दुर्गा और दस
महाविद्या इन्ही के स्वरूपों और गुणों का विस्तार हैं |यह विनाशक शत्रुओं
,दुर्गुणों और पापियों के लिए हैं ,भक्त के लिए तो महा कृपालु माता हैं |जब आप
दुर्गा को पूज सकते हैं ,नव दुर्गा की आराधना कर सकते हैं ,दस महाविद्या को उपासित
कर सकते हैं तो काली को क्यों नहीं |वही तो इन सब में भी हैं |इनकी आराधना ,उपासना
भी सभी कर सकते हैं ,यह डरावनी नहीं ,यह तो महा कृपालु हैं |इनका स्वरुप आराधक के
शत्रुओं के लिए डरावना है ,उनके लिए घातक है ,साधक के लिए नहीं |इनकी तो आराधना
करने वाला सभी दुखों ,कष्टों से मुक्त हो जाता है ,सभी भय समाप्त हो जाते हैं उसके
|
जो सामान्य लोग हैं ,वह भी इनकी उपासना
कर सकते हैं और इनकी कृपा ,शक्ति पा सकते हैं |शक्ति सबके लिए होती है ,इनपर किसी
का एकाधिकार नहीं |इसे कोई भी प्राप्त कर सकता है |जिनके पास गुरु हैं ,जो दीक्षित
हैं उन्हें तकनीकियों का ज्ञान होता रहता है जिससे वह सुरक्षित जल्दी कृपा पा जाते
हैं और अधिक मात्रा में भी पा जाते हैं ,पर जिनके पास गुरु नहीं हैं ,जो दीक्षित
नहीं हैं वह भी काली की शक्ति पा सकते हैं |अंतर बस समय और मात्रा का हो सकता है
,पर मिलता जरुर है |इसके लिए बहुत समय तक या घंटों आराधना ,उपासना करना भी आवश्यक
नहीं ,कुछ मिनट भी यदि एकाग्र हुआ जाए तो इनकी कृपा और शक्ति पाई जा सकती है |यदि
हम ऐसा कहते हैं तो लोगों को आश्चर्य हो सकता है ,हो सकता है कुछ लोग आलोचनात्मक
भी हो जाएँ ,क्योकि बहुतेरे वर्षों साधना करते रहते हैं ,घंटों करते रहते हैं
किन्तु परिणाम समझ में नहीं आता ,फिर भी स्वयं को सिद्ध समझे हुए होते हैं |सोचते
हैं की बिना गुरु ,बिना तकनिकी ,बिना शास्त्रीय जानकारी यह नहीं हो सकता |ऐसे में
वह लोग आलोचना भी कर सकते है ,अथवा कुछ महाज्ञानी जो लम्बे-चौड़े कर्मकांड को ही सिद्धि और साधना के सूत्र
मानते हैं वह भी आलोचना कर सकते हैं |किन्तु हम फिर भी कहना चाहेंगे की काली की
ऊर्जा केवल १५ से ३० मिनट प्रतिदिन के प्रयास से पायी जा सकती है |हम कोई सिद्ध
नहीं हैं ,कोई सन्यासी नहीं हैं ,अज्ञानी और बेहद सामान्य श्रद्धालु हैं किन्तु फिर भी अनुभव किया है, अपने
नजदीकियों को अनुभव कराया है कि यदि हम चाहें तो काली की शक्ति प्राप्त कर सकते
हैं केवल थोड़े से गंभीर प्रयास से |हमने मात्र काली सहस्त्रनाम के पाठ से काली की
उस शक्ति का आभास अपने मित्रों और कष्ट में फंसे लोगों को कराया है ,जिसके लिए
तांत्रिक भी तरसते हैं |जो समस्या तांत्रिक दूर ना कर पाए ,वह समस्या मात्र काली
सहस्त्रनाम के पाठ से दूर हुई है |ऐसे में अगर मूल काली की शक्ति को खुद में पाने
का प्रयास किया जाए तो सोचिये कितना कल्याण होगा आराधक का |[[काली सहस्त्रनाम की
विधि हमने इसके पहले के अंक में ,महाकाली कृपा प्राप्ति साधना -१ या महाकाली की
साधना और सिद्धि कैसे हो ,के नाम से लिखा और पोस्ट किया है |
सामान्य काली की ऊर्जा, जिससे हमारा
भौतिक जीवन सुखमय हो सके ,नकारात्मक ऊर्जा हट सके ,सफलता बढ़ सके आदि के लिए बहुत
गंभीर साधना करनी पड़े ,तंत्र की गंभीर क्रियाएं करनी पड़े आवश्यक नहीं है | साधारण
तौर पर महाकाली की शक्ति कोई भी, कभी भी, कहीं भी प्राप्त कर सकता है ,केवल कुछ
सूत्रों ,कुछ नियमों ,कुछ निर्देशों को गंभीरता से पालन करने की जरुरत है |हम अपने
इस पोस्ट में एक ऐसी महत्वपूर्ण, अति तीब्र प्रभावकारी किन्तु बेहद सरल साधना को
प्रस्तुत कर रहे हैं ,जिससे किसी को भी महाकाली की अलौकिकता का आभास हो सकता है
|किसी का भी जीवन बदल सकता है |कोई भी काली की ऊर्जा प्राप्त कर सकता है ,केवल कुछ
मिनट के प्रयास से |हमने बहुतों को यह बताया है ,कुछ सफल हुए ,कुछ घबराकर हट गए
,कुछ नियमित न रह पाने से अथवा अत्यंत सरल पद्धति होने से मजाक समझ अविश्वास में
छोड़ बैठे |कुछ इसे करके अत्यंत सफल हो गए और खुद को सिद्ध ही मानने लगे |यह है तो
बहुत ही छोटा और सरल प्रयोग पर इसकी शक्ति अद्वितीय है |इससे महाकाली की शक्ति तो
निश्चित रूप से प्राप्त होती ही है ,अगर एकाग्रता और लगन बना रहा तो ईश्वर साक्षात्कार
अथवा प्रत्यक्षीकरण भी हो जाता है |भूत-भविष्य-वर्तमान के ज्ञान की शक्ति प्राप्त हो सकती है |किसी भी शक्ति की
प्राप्ति हो सकती है ,केवल मार्गदर्शन और तकनिकी ज्ञान मिलता रहे |इस प्रयोग में
किसी कर्मकांड की ,लम्बे चौड़े पद्धति की ,विशिष्ट पूजा-पद्धति की भी आवश्यकता नहीं है |कोई भी कर सकता है |हाँ एक अनिवार्य शर्त
तो है आपको भयमुक्त होना चाहिए |डरपोक लोग साधना काली की तो नहीं ही कर सकते हैं |
साधना विधि
::--इस साधना को आप किसी भी शनिवार अथवा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से प्रारम्भ
कर
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सकते हैं | आप नित्यकर्म और स्नान आदि से स्वच्छ हो ,ऊनि लाल अथवा रंगीन आसन पर
स्थान ग्रहण करें |भगवती महाकाली का एक सुन्दर सा चित्र लें जिसमे वह तरुणी हों
,सुन्दर और सौम्य दिखें [चित्र पहले से लाकर रखे रहें ] |इस चित्र को अपने पूजा
स्थान पर किसी चौकी आदि पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें | फिर उनकी स्थापना
करें |आप हाथ जोड़कर अपने ध्यान में भगवती काली जी को लायें और फिर आँखें खोलकर
कल्पना द्वारा उस काल्पनिक भगवती को धीरे-धीरे लाकर चित्र में स्थापित कर दें और कल्पना करें की भगवती ने आकर उस
चित्र में अपने को समाहित कर लिया है |अब उनकी विधिवत पूजा कर दें |पूजा आपको रोज
सुबह करनी है किन्तु चित्र स्थापना और भगवती की मानसिक प्रतिष्ठा चित्र में एक बार
ही करनी है |पूजा में सिन्दूर, लाल
फूल और लौंग यथासंभव प्रतिदिन चढ़ाएं |पूजा करने के बाद आप उठ सकते हैं |इस समय इस
स्थान पर अगर हत्थाजोड़ी -सियार्सिंगी अथवा हमारे द्वारा निर्मित दिव्य गुटिका
/डिब्बी की भी स्थापना की जाए तो सफलता और बढ़ जायेगी |इसके बाद आप भगवती के चित्र
के सामने टेनिस की गेंद के आकार की एक क्रिस्टल बाल अर्थात पारदर्शी शीशे का गोला
जिसमे कोई बूँद ,दरार अथवा दाग आदि न हो उसके स्टैंड पर स्थापित करें |क्रिस्टल
बाल की साइज अथवा मोटाई कम से कम दो इंच की हो यदि पूजा स्थान में छाया आदि एक ही
दिशा में अधिक हो तो आप एक लाल जीरो वाट का बल्ब क्रिस्टल बाल के पीछे इस प्रकार
स्थापित करें की आपके सामने क्रिस्टल बाल के बाद बल्ब न दिखे और केवल लाल प्रकाश
ही बाल में नजर आये |
अब आपको दिन में किसी भी समय का एक
निश्चित समय निश्चित करना है जब आप रोज नियमित उन्हें १५ मिनट का समय दे सकें
|बेहतर हो यह समय रात्री १० बजे के बाद का हो |यह समय बिलकुल एकांत का होना चाहिए
,कोई आवाज अथवा विघ्न नहीं होनी चाहिए |इसके लिए स्थान आपका शयन कक्ष भी हो सकता
है अथवा पूजा स्थान अथवा कोई भी एकांत स्थान |पूजन रोज सुबह और साधना रात्री में
करें |जब आप समय निश्चित कर लें की अमुक समय आप रोज साधना कर सकते हैं तो फिर उस
समय और स्थान में परिवर्तन न हो |इसीलिए आपको जहाँ और जब सुविधा हो एक बार में ही
चुनाव कर लें |रात्री आदि में साधना करने के पूर्व स्नान आदि करके स्वच्छ हो एक
ऊनि लाल अथवा रंगीन ऊनि कम्बल अपनी सुविधानुसार स्थान पर बिछाएं |आपका आसन
क्रिस्टल बाल से दो फुट की दूरी पर हो | अब एक घी का दीपक और अगर बत्ती जलाएं
|इन्हें भगवती को दिखा -समर्पित कर प्रणाम करें और ध्यान से उनके चित्र को देखें |
अब आसन पर आराम से सुखासन में बैठ जाएँ |आसन के चारो और पहले से सुरक्षा घेरा
बनाकर रखें |इसके लिए सिन्दूर-कपूर
और लौंग को चूर्णकर घी में मिला भगवती के किसी मंत्र को पढ़ते हुए आसन के चारो और
घेरा बना दें और भगवती से प्रार्थना करें की वह आपकी सब प्रकार से सुरक्षा करें
|[पंडित जितेन्द्र मिश्र ]
अब आसन पर बैठ कर अपनी अपलक दृष्टि आपको
क्रिस्टल बाल पर जमानी है ठीक बीचोबीच | मन में सदैव एक ही कल्पना रहे की इस
क्रिस्टल बाल के लाल प्रकाश में भगवती मुझे दिखेंगी और आशीर्वाद देंगी |मन में
प्रबल विश्वास रखें की वह जरुर दिखेंगी और मुझे उनकी कृपा प्राप्त होगी |इस अवधि
में कोई मंत्र जप तभी कर सकते हैं जब आपको किसी सिद्ध साधक अथवा गुरु से काली का
मंत्र प्राप्त हो ,अन्यथा मंत्र जप न करें |कोई भी शाबर मंत्र तो कदापि न करें
|प्रक्रिया में सदैव अपने ध्यान को काली पर ही केन्द्रित करने का प्रयास होना
चाहिए |यद्यपि मन बहुत भटकता है पर कुछ दिन में एकाग्रता आने लगती है और बाल में
आकृतियाँ उभरने लगती हैं ,जिससे रोमांच भी होता है |कभी क्षणों के लिए भगवती भी
दिख सकती हैं जो कभी किसी रूप में तो कभी किसी रूप में दिख सकती हैं |यह सब आपकी
पूर्व कल्पनाओं की आकृतियाँ होंगी पर प्रयास आपको चित्र वाली देवी को ही लाने का
होना चाहिए |इसके साथ ही भिन्न भिन्न लोग भिन्न भिन्न आकृतियाँ ,भिन्न दृश्य उभरते
हैं |यह सब अवचेतन के चित्र होते हैं जिन्हें देखकर आप भी हतप्रभ होते रहते हैं
,किन्तु हमेश दिमाग में एक ही निश्चय रखें की हमें भगवती स्पष्ट दिखेंगी और
आशीर्वाद देंगी |कुछ दिन बाद भगवती की आकृति उभरने लगती है ,क्षणों-क्षणों के लिए ,कभी कुछ कभी कुछ |फिर धीरे धीरे
अनवरत प्रयास से आकृति स्थायी होने लगती है |यदि जब कभी आपकी एकाग्रता एक मिनट के
लिए भी स्थायी हो जाती है अथवा एक मिनट भी भगवती स्थायी होकर रुकती हैं अथवा
स्पष्ट दीखते हुए आशीर्वाद मुद्रा में आशीर्वाद देने लगती हैं आपकी साधना सफल होने
लगती है |आपको अनेक परिवर्तन स्वतः नजर आने लगते हैं |एक मिनट की आत्म विस्मृति
[खुद की सुध भूल जाना ] प्राप्त होते ही आप सिद्धि की शक्ति से साक्षात्कार करने
लगते हैं |
भगवती का चित्र बाल में स्थायी होना और
आशीर्वाद देने का मतलब आप द्वारा उनकी ऊर्जा को वातावरण से बुलाने पर वह आ रही है
और उसका सम्बन्ध आपके मष्तिष्क और अवचेतन से बन गया है |आपमें इसके साथ ही आतंरिक
रासायनिक परिवर्तन भी होने लगते हैं और वाह्य भौतिक परिवर्तन भी होने लगते हैं
,क्योकि आपके आज्ञा चक्र की तरंगों की प्रकृति बदल जाती है ,उसकी क्रिया तीब्र हो
जाती है |भगवती की ऊर्जा के अनुरूप भावना होने से शरीर और सोच में परिवर्तन आता है
|अंगों में अथवा चक्र में स्फुरण हो सकता है | इस स्थिति में आपकी कुंडलिनी में भी
स्फुरण हो सकता है |आपकी सोची इच्छाएं पूर्ण होने लगती हैं क्योकि आपकी मानसिक
तरंगों में इतनी शक्ति आ जाती है की वह लक्ष्य पर पहुचकर उसे आंदोलित और आपके पक्ष
में करने लगती हैं |
जब भगवती की आकृति रोज स्थायी होने लगे
तो उसे अधिकतम देर तक स्थायी रखने का प्रयास करें |कुछ दिनों के प्रयास में यह
संभव हो सकता है |फिर उन्हें आप अपने मानसिक बल और मन के भावों से घुमाने का
प्रयास करें ,अथवा कभी यह हाथ कभी वह हाथ उठायें ,कभी उन्हें घुमाने का प्रयास
करें |एकाग्रता, लगन और निष्ठां से यह भी संभव हो जाएगा |,उनके घुमते ही आपके
आसपास का माहौल भी आपकी मानसिक ईच्छाओं के साथ प्रभावित होने लगता है |यह साधना की
उच्च स्थिति है |यह स्थिति आने पर समाधि की भी स्थिति संभव है अथवा भाव में डूबने
पर साक्षात भगवती आपके सामने आकर खडी हो सकती हैं |आपकी कुंडलिनी जाग सकती है |आप
समाधि में जा सकते हैं |आपसे भगवती का वार्तालाप हो सकता है |आपको वरदान आदि
प्राप्ति की स्थिति आ सकती है |इस प्रकार इस साधना की शक्ति की कोई सीमा नहीं है
|इस साधना से आप दुनिया में कुछ भी पा सकते हैं |त्रिकाल दर्शिता की क्षमता भी
|सर्वत्र विजय भी ,मन के सोचने मात्र से शत्रु संहार भी |इस साधना की सबसे
अनिवार्य शर्त है की आप डरपोक न हों ,आपको भयभीत नहीं होना है किसी भी स्थिति में
,क्योकि यह उग्र शक्ति है और अनियंत्रित होने पर क्षति संभव है |
इस साधना की शुरुआत केवल ५ मिनट से करें ,क्योकि आँखों पर बहुत जोर पड़ता
है |लगातार बाल देखते हुए जब आँखों में जलन हो या अत्यधिक पानी आये तो कुछ सेकण्ड
के लिए आँखें बंद कर लें किन्तु ध्यान भगवती पर ही एकाग्र रखें |फिर आँखें खोलकर
क्रिस्टल में उन्हें देखने का प्रयास करें |इसे प्रति सप्ताह एक मिनट बढ़ते जाएँ और
अंततः १५ मिनट तक जाए |इससे अधिक नहीं |यह पूरी प्रक्रिया ३ महीने की सामान्य रूप
से है |तीन महीने में भगवती की शक्ति का अनुभव आपको होने लगता है |,यदि तीन महीने
में आप सफल नहीं होते हैं तो मान लीजिये की आपके पूर्व कर्म बहुत अच्छे नहीं रहे
और आपको ईश्वरीय ऊर्जा या दर्शन या आपकी मुक्ति मुश्किल है |आप में भारी कमियां
हैं |आपकी एकाग्रता बहुत खराब है |आपकी श्रद्धा और विश्वास में कमियां हैं |आप
बहुत ही गंभीर नकारात्मकता से ग्रस्त हैं |फिर तो आपका कल्याण केवल गुरु के हाथों
ही संभव हो सकता है |यद्यपि पूर्ण साक्षात्कार की स्थिति विरले को ही मिलती है पर
शक्तियां तो मिलने ही लगती हैं ,सिद्धियाँ तो प्राप्त होती ही है |यदि मंत्र और गुरु
मार्गदर्शन है तो अधिक अन्यथा कुछ कम पर प्राप्ति होती जरुर है |पूर्ण प्रक्रिया
की कोई समय सीमा नहीं क्योकि यह साधना है कोई अनुष्ठान ,उपासना अथवा आराधना नहीं |
आप इसे करके देखें ,और नीचे लिखी सावधानी और चेतावनी पर ध्यान देते हुए साधना
मार्ग पर अग्रसर हों ,हमें पूरा विश्वास है आपका जीवन बदल जाएगा ,आपको भगवती की
ऊर्जा का साक्षात्कार होगा ,भले आपने कभी कोई साधना न की हो ,भले आप साधक न हों
,पर इससे आप साधक बन जायेंगे और गंभीर प्रयास से सिद्ध भी हो जायेंगे एक विशेष
शक्ति के |इस शक्ति के प्राप्त होने पर इसके अनेकानेक प्रयोग हैं जिससे आप अपने
परिवार का ,मित्रों का ,लोगों का भला कर सकते हैं ,उनके दुःख दूर कर सकते हैं जबकि
आपका भला तो खुद ब खुद होता है |
विशेष जानकारी
और चेतावनी
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--यह साधना कोई भी कर सकता है ,किन्तु यह तांत्रिक साधना है |मूल तांत्रिक पद्धति
क्लिष्ट और गुरुगम्य होती है किन्तु इसे कोई भी थोड़ी सावधानी से कर सकता है |
साधना में साधित की जा रही शक्ति शिव परिवार की और ब्रह्माण्ड की सर्वाधिक उग्र शक्ति
हैं ,इनसे किसी प्रकार की हानि भी संभव है और लाभ भी |यह परम तामसिक और उच्चतम
सकारात्मक शक्ति होने से इनकी साधना से जब सकारात्मकता का संचार बढ़ता है तो ,आसपास
और व्यक्ति में उपस्थित अथवा उससे जुडी नकारात्मक शक्तियों को कष्ट और तकलीफ होती
है ,उनकी ऊर्जा का क्षरण होता है ,फलतः वह तीब्र प्रतिक्रया करती है और साधक को
विचलित करने के लिए उसे डराने अथवा बाधा उत्पन्न करने का प्रयास करती हैं |इस
साधना को करते समय आपको कभी विचित्र अनुभव भी हो सकते हैं ,कभी लग सकता है की कोई
आगे से चला गया ,कोई पीछे से चला गया ,कोई पीछे है ,या कमरे में है या कोई और भी
आसपास है ,कभी अनापेक्षित घटनाएं भी संभव हैं |सबका उद्देश्य आपको विचलित करना
होता है |
यह सब काली नहीं करती ,अपितु आपके आस पास
की नकारात्मक शक्तियां करती हैं जिससे आप साधना छोड़ दें |,कभी कभी पूजा से भी
दूसरी नकारात्मक शक्ति आकर्षित हो सकती हैं |व्यक्ति के काम को बिगाड़ने और
दिनचर्या प्रभावित करने का प्रयस भी यह नकारात्मक उर्जायें कर सकती हैं ,इसलिए यह
अति आवश्यक होता है की साधना की अवधि में साधक किसी उच्च सिद्ध काली साधक द्वारा
बनाया हुआ शक्तिशाली काली यन्त्र-ताबीज
अवश्य धारण करे ,जिससे वह सुरक्षित रहे और साधना निर्विघ्न संपन्न करे |तीब्र
प्रभावकारी साधना होने से प्रतिक्रिया भी तीब्र हो सकती है अतः सुरक्षा भी तगड़ी
होनी चाहिए |यह गंभीरता से ध्यान दें की आप जो काली यन्त्र-ताबीज धारण कर रहे हैं वह वास्तव में काली को
सिद्ध किया हुआ साधक ही अपने हाथों से बनाए और अभिमंत्रित किये हुए हो ,अन्यथा बाद
में सामने खतरे या समस्या आने पर मुश्किल हो सकती है |सिद्ध अथवा साधक के यहाँ की
भीड़ ,अथवा प्रचार से उनका चुनाव आपको गंभीर मुसीबत में डाल सकता है |साधना पूर्ण
है ,किन्तु इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटी होने अथवा समस्या-मुसीबत आने पर हम जिम्मेदार नहीं होंगे |गुरु का
मार्गदर्शन और समुचित सुरक्षा करना साधक की जिम्मेदारी होगी |हमारा उद्देश्य सरल
,सात्विक ,तंत्रोक्त साधना की जानकारी देना मात्र है |..
जिन
लोगों के पास गुरु हैं किन्तु गुरु को ही तकनिकी ज्ञान नहीं है ,जिनके पास गुरु
हैं किन्तु गुरु किसी और मार्ग के अथवा सात्विक मार्ग के हैं |जिन लोगों के पास
गुरु हैं किन्तु गुरु आडम्बरी हैं और मात्र पैसे को महत्त्व देने वाले हैं |जिनके
गुरु तो हैं किन्तु उनके पास मार्गदर्शन के लिए समय नहीं या जिनकी प्रसिद्धि और
प्रचार देखकर गुरु बना लिया है अथवा किसी कथा वाचक को गुरु बना लिया है जिनको कोई
तन्त्र की जानकारी ही नहीं तो ऐसे लोगों के लिए भी हमारे पास काली साधना के रास्ते
हैं |हमने इस साधना पद्धति से भी विशेष और उत्कृष्ट साधना पद्धति बनाई है उनके लिए
जो साधक हैं ,साहसी हैं और तंत्र समझते हैं |किसी कारण गुरु का लाभ नहीं पा रहे
किन्तु साधना करना चाह रहे |उस पद्धति को भी समय मिला तो प्रकाशित करेंगे थोड़े काट
छांट के साथ क्योंकि पूर्ण तकनिकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती तंत्र के
गोपनीयता के नियमों के अनुसार |तंत्र का मतलब तकनिकी साधना होता है जो सनातन
विज्ञानं के सूत्रों पर सिद्धियाँ देता है |यह लेख इन्ही तकनिकी ज्ञान का विस्तार
है जहाँ आज्ञा चक्र और विशुद्ध चक्र की ऊर्जा से काली की सिद्धि हमने बताई है |मूलाधार
को तो हमने छुआ ही नहीं इस लेख में जबकि काली की वास्तविक शक्ति वहीँ होती है |वह
ज्ञान केवल हमारे शिष्यों के लिए सुरक्षित है ,हम अपने शिष्यों के लिए विशेष तकनीक
अलग रखते हैं चूंकि तांत्रिक तकनीके सामान्य लोगों के लिए नहीं होती |........................................................................हर-हर महादेव