::::::::::::::::शनि दोष निवारक कवच ::::::::::::::::
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इस दुनिया में प्रत्येक पांच में से एक व्यक्ति शनि के दुष्प्रभावों अथवा कुप्रभावों से अत्यधिक परेशान है |शनि की पनौती ,ढईया ,अथवा साढ़ेसाती अक्सर सुनाई देते रहते हैं |इनके अतिरिक्त अक्सर महादशा ,अन्तर्दशा अथवा प्रत्यांतार्दशा अलग से परेशान करती रहती है |यही कारण है की शनि को कुंडली में सबसे कष्टकारक गृह माना जाता है ,यद्यपि यह कभी शुभ भी होता है किन्तु अधिकतर कष्ट ही पाते हैं |इसके दुष्प्रभावों का प्रभाव इसके मित्रों राहू- केतु को और भी खतरनाक बना देता है जिन्हें इससे बल मिल जाता है |अर्थात एक शनि अनेक कष्टों का कारण बन जाता है |इसके दुष्प्रभाव के कारण सभी कार्यों में बाधा ,शत्रुओं से परेशानी ,मुकदमो -विवादों में पराजय ,आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट ,मानसिक क्लेश ,हड्डियों जोड़ों की समस्या ,पुत्रों- संतानों से कष्ट ,कलह ,आर्थिक तंगी ,कर्ज ,वायव्य बाधा ,बंधू -मित्र -नौकर -कर्मचारी -मजदूर वर्ग से समस्या उत्पन्न होती है |यह व्यक्ति को कंगाल और असहाय बना देता है ,व्यक्ति चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता |
शनि की शान्ति के हजारों उपाय वैदिक और तांत्रिक ग्रंथों में मिलते हैं |कुछ बड़े और अत्यंत कठिन हैं तो कुछ सामान्य के लिए दुरूह |tantra वास्तव में चमत्कारिक लाभ पहुचाता है अगर वास्तव में व्यक्ति जानकार है और उसे इससे सम्बंधित यंत्रों ,वनस्पतियों ,मन्त्रों ,की अच्छी जानकारी हो |विभिन्न वनस्पतियों ,यंत्रों ,मन्त्रों ,और तांत्रिक विधियों के संयोग से ऐसे प्रभावी कवच निर्मित किये जा सकते हैं जो उग्र शनि को शांत और अशुभ को शुभ कर दें | ऐसे में यदि शनि शान्ति के अचूक उपाय के रूप में तंत्रोक्त विधि से निर्मित "शनी दोष निवारक कवच "को अपने गले में धारण किया जाए तो चमत्कारिक लाभ देखने में आता है |शनी की ढईया ,साढ़ेसाती ,पनौती ,दशा-अन्तर्दशा एवं जन्मकुंडली में शनी के दुष्प्रभाव के नाश हेतु और जीवन में सफलताओं ,भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए कवच लाभदायक होता है ,क्योकि शनी को यदि शांत और प्रसन्न रखा जाए तो महाअशुभकारक ग्रह शुभद हो सकता है |इतना तो अवश्य होता है की इसके दुष्प्रभावों में कमी आते ही अन्य ग्रह जो इससे बल पा रहे अशुभता में उनके प्रभाव में परिवर्तन हो जाता है |शुभ ग्रहों के प्रभाव बढ़ जाते हैं और परिवर्तन दिखने लगता है |इस कवच को स्त्री अथवा पुरुष कोई भी धारण कर मनोवांछित लाभ प्राप्त कर सकता है |इस कवच में अनेक शनि से सम्बंधित वनस्पतियों ,उसे प्रभावित करने वाली वनस्पतियों ,मन्त्रों ,यंत्रों ,पदार्थों का विशेष संयोग होता है जो शनी को शांत कर देता है ,उसके प्रभावों की दिशा बदल देता है |उसके अशुभ प्रकार की प्रकृति लाभदायक में बदलती है |फलतः व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन आ जाता है |यह बड़े बड़े अनुष्ठान और बड़े खर्चों से भी बचाता है |................................................................................हर-हर महादेव
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इस दुनिया में प्रत्येक पांच में से एक व्यक्ति शनि के दुष्प्रभावों अथवा कुप्रभावों से अत्यधिक परेशान है |शनि की पनौती ,ढईया ,अथवा साढ़ेसाती अक्सर सुनाई देते रहते हैं |इनके अतिरिक्त अक्सर महादशा ,अन्तर्दशा अथवा प्रत्यांतार्दशा अलग से परेशान करती रहती है |यही कारण है की शनि को कुंडली में सबसे कष्टकारक गृह माना जाता है ,यद्यपि यह कभी शुभ भी होता है किन्तु अधिकतर कष्ट ही पाते हैं |इसके दुष्प्रभावों का प्रभाव इसके मित्रों राहू- केतु को और भी खतरनाक बना देता है जिन्हें इससे बल मिल जाता है |अर्थात एक शनि अनेक कष्टों का कारण बन जाता है |इसके दुष्प्रभाव के कारण सभी कार्यों में बाधा ,शत्रुओं से परेशानी ,मुकदमो -विवादों में पराजय ,आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट ,मानसिक क्लेश ,हड्डियों जोड़ों की समस्या ,पुत्रों- संतानों से कष्ट ,कलह ,आर्थिक तंगी ,कर्ज ,वायव्य बाधा ,बंधू -मित्र -नौकर -कर्मचारी -मजदूर वर्ग से समस्या उत्पन्न होती है |यह व्यक्ति को कंगाल और असहाय बना देता है ,व्यक्ति चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता |
शनि की शान्ति के हजारों उपाय वैदिक और तांत्रिक ग्रंथों में मिलते हैं |कुछ बड़े और अत्यंत कठिन हैं तो कुछ सामान्य के लिए दुरूह |tantra वास्तव में चमत्कारिक लाभ पहुचाता है अगर वास्तव में व्यक्ति जानकार है और उसे इससे सम्बंधित यंत्रों ,वनस्पतियों ,मन्त्रों ,की अच्छी जानकारी हो |विभिन्न वनस्पतियों ,यंत्रों ,मन्त्रों ,और तांत्रिक विधियों के संयोग से ऐसे प्रभावी कवच निर्मित किये जा सकते हैं जो उग्र शनि को शांत और अशुभ को शुभ कर दें | ऐसे में यदि शनि शान्ति के अचूक उपाय के रूप में तंत्रोक्त विधि से निर्मित "शनी दोष निवारक कवच "को अपने गले में धारण किया जाए तो चमत्कारिक लाभ देखने में आता है |शनी की ढईया ,साढ़ेसाती ,पनौती ,दशा-अन्तर्दशा एवं जन्मकुंडली में शनी के दुष्प्रभाव के नाश हेतु और जीवन में सफलताओं ,भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए कवच लाभदायक होता है ,क्योकि शनी को यदि शांत और प्रसन्न रखा जाए तो महाअशुभकारक ग्रह शुभद हो सकता है |इतना तो अवश्य होता है की इसके दुष्प्रभावों में कमी आते ही अन्य ग्रह जो इससे बल पा रहे अशुभता में उनके प्रभाव में परिवर्तन हो जाता है |शुभ ग्रहों के प्रभाव बढ़ जाते हैं और परिवर्तन दिखने लगता है |इस कवच को स्त्री अथवा पुरुष कोई भी धारण कर मनोवांछित लाभ प्राप्त कर सकता है |इस कवच में अनेक शनि से सम्बंधित वनस्पतियों ,उसे प्रभावित करने वाली वनस्पतियों ,मन्त्रों ,यंत्रों ,पदार्थों का विशेष संयोग होता है जो शनी को शांत कर देता है ,उसके प्रभावों की दिशा बदल देता है |उसके अशुभ प्रकार की प्रकृति लाभदायक में बदलती है |फलतः व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन आ जाता है |यह बड़े बड़े अनुष्ठान और बड़े खर्चों से भी बचाता है |................................................................................हर-हर महादेव
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