Tuesday, 21 January 2020

तंत्र रक्षा और बिगड़े को सुधारने हेतु कवच

बिगड़े को सुधारने अथवा तांत्रिक क्रिया से बचाव का चमत्कारी कवच
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      अक्सर सुनने में आता है की संतान अथवा बच्चा बिगड़ गया है या बिगड़ रहा है |बात नहीं मानता ,गलत आदतों का शिकार हो गया है या गलत संगत में पड़ गया है ,गलत या अनुचित कार्य ही उसे पसंद आते हैं |परिवार -खानदान-माँ बाप की प्रतिष्ठा को ठेस पंहुचा रहा है ,अपना भविष्य बिगाड़ रहा है | दुर्जनों के बहकावे में आ जा रहा है ,माँ-बाप या परिवार के विरोधियों के भड़काने में आकर अपने ही लोगों को अपना दुश्मन समझ रहा है ,अपने लोगों की अवहेलना कर रहा है ,अनुचित कार्यों -प्यार-मुहब्बत में रूचि ले रहा है जिसके परिणामों की उसे समझ नहीं रही ,सम्मान की चिंता नहीं है ,भविष्य की चिंता नहीं है ,|यह आज के समय में बहुत अधिक दिख रहा है ,जिसके अनेक कारण है ,नैतिकता का पतन,संस्कार हीनता ,नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ,कुलदेवता/देवी दोष आदि अनेकानेक कारण हैं इनके और अक्सर रोकथाम के उपाय या समझाना व्यर्थ जाता है |कभी कभी ऐसा भी होता है की हमारे किसी प्रिय यथा पति-पत्नी-संतान आदि पर कोई अन्य व्यक्ति तांत्रिक अभिचार यथा वशीकरण आदि करके अपने अनुकूल कर लेता है और हमारा प्रिय व्यक्ति हमसे विमुख हो उससे जुड़ने और उसकी बात मानने लगता है |

इन समस्याओं का समाधान तंत्र में है और इन्हें सुधारा जा सकता है |परम पूज्य गुरुदेव द्वारा अपने लम्बे तंत्र अनुभव के आधार पर इस हेतु एक विशिष्ट कवच निर्मित किया जाता है ,जिसकी अपनी विशिष्ट पद्धति है |यह कवच विशिष्ट अनुष्ठान द्वारा निर्मित किया जाता है और विशिष्ट यन्त्र से परिपूर्ण होता है ,जिसके साथ विभिन्न प्रकार के ११ अन्य घटक होते हैं |यह कवच संतान अथवा प्रियजन को आपके अनुकूल या वशीभूत नहीं करता है ,न ही किसी प्रकार से मष्तिष्क पर बोझ डालकर उसे परिवर्तित करता है ,,अपितु इसकी कार्यप्रणाली पूर्णतः प्रकृति की ऊर्जा संरचना के अनुरूप कार्य करती है और धारक के स्वचेतना में परिवर्तन कर देता है ,आतंरिक और शारीरिक ऊर्जा में सकारात्मकता के संचार से व्यक्ति के सोचने-समझने की दृष्टि में परिवर्तन हो जाता है और वह अपना हित -अहित ,अच्छा-बुरा ,भूत-भविष्य-वर्त्तमान के प्रति सजग और सतर्क हो जाता है |अंतरात्मा ,नैतिकता कवच की अलौकिक ऊर्जा से जाग उठती है |नकारात्मक ऊर्जा ,किये-कराये ,तांत्रिक अभिचार आदि का प्रभाव रूक जाता है और व्यक्ति अपने खुद के मष्तिष्क और सोच के अनुरूप अपने हित के लिए कार्य करने लगता है |शरीर और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने से संस्कार-परिवार-माता-पिता-पति-पत्नी-धर्म-समाज-इज्जत के प्रति संवेदनशील हो जाता है और उन्नति के साथ भविष्य की और सोचने लगता है |महाविद्या से सम्बंधित कवच होने से एक अलौकिक अदृशीय ऊर्जा उसे प्रेरित करती है फलतः उसके आचार-व्यवहार-सोच-कर्म में परिवर्तन होने लगता है और वह सुधरकर उन्नति की और अग्रसर हो जाता है |....................................................................हर-हर महादेव 

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