भूत -प्रेत ,नकारात्मक ऊर्जा हटाने का प्रयोग दिव्य गुटिका पर
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=============प्रचंडा चामुंडा साधना ==============
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जैसा की हमने अपने दिव्य गुटिका अथवा चमत्कारी डिब्बी धारक पेज के पाठकों को सूचित किया था की जो गुटिका उन्होंने कभी भी हमसे किसी भी अन्य उद्देश्य से ली हो वे उस उद्देश्य के साथ -साथ उस दिव्य गुटिका पर अनेक प्रयोग अपनी आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं और हम क्रमशः उनकी विधि प्रस्तुत करते रहेंगे |हम विशेष रूप से प्रयोग किये जाने वाले कुछ प्रयोगों के क्रम में नकारात्मक ऊर्जा ,भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाएं ,तांत्रिक अभिचार ,अनावश्यक वशीकरण ,उच्चाटन ,विद्वेषण आदि की क्रियाओं को हटाने का प्रयोग प्रदान कर रहे हैं |जिन धारकों को लगता हो की उनके ऊपर अथवा उनके दूकान ,व्यवसाय ,घर-परिवार पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है ,किसी ने कुछ किया -कराया किया हुआ है या अभिचार किया है ,या व्यवसाय -दूकान बाँध दिया है ,या उन्नति रोक दी है ,या अपने आप किसी वायव्य आत्मा परेशान कर रही है ,किसी बच्चे -स्त्री को कोई पीड़ा पहुंचा रहा हो ,घर-परिवार में अनावश्यक बीमारी -दुर्घटना -कष्ट का वातावरण बन रहा हो तो वह धारक इस प्रयोग को किसी शनिवार अथवा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्री शुरू कर निश्चित दिनों तक क्रिया प्रयोग कर लाभान्वित हो सकते हैं |
सामग्री
---------- मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठायुक्त दुर्लभ दिव्य गुटिका [चमत्कारी डिब्बी ],लाल रंग का वस्त्र ,इत्र ,लकड़ी की चौकी या बाजोट ,चांदी की तश्तरी [ न मिले तो पीतल ], असली सिन्दूर ,लौंग ,इलायची ,लाल फूल ,पान बीड़ा ,फल फूल ,प्रसाद चढाने को दूध की लाल मिठाई ,चावल ,सिक्का ,रुई ,देशी घी का दीपक |
माला
-------- मंत्र सिद्ध चैतन्य रुद्राक्ष माला
आसन
-------- लाल उनी आसन
वस्त्र
------- लाल रंग की धोती
दिशा
------- पूर्व दिशा
दिन
------ होली की रात्री अथवा शुभ मुहुर्तयुक्त मंगलवार अथवा नवरात्र अथवा शनिवार अथवा कृष्ण चतुर्दशी |
समय
------- रात्री दस बजे
जप संख्या अवधि
---------------------- १२५००० [सवा लाख ]अपनी सुविधानुसार रोज की जप संख्या निश्चित कर दिन की अवधि निश्चित कर लें |प्रतिदिन जप संख्या समान हो और सवा लाख जप २१ ,३१ ,४१ अथवा ५१ दिनों में संपन्न हो |इस अवधि में पूर्ण सात्विकता ,ब्रह्मचर्य पालन आवश्यक |
मंत्र
------- || ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये बिचै ||
विधि
-------- नवरात्र में अथवा शुभ मुहुर्त्युक्त मंगलवार को अथवा होली की रात्री अथवा कृष्ण चतुर्दशी अथवा किसी शनिवार को स्नानादि से निवृत्त हो शुद्ध हो लाल धोती धारण कर लाल उनी आसन पर पूर्व की और मुख कर अपने सामने लकड़ी के बाजोट या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं |उस पर बीचोबीच रोली से अष्टदल कमल बनाएं फिर उस पर चांदी की तश्तरी स्थापित करें और तश्तरी के बीचोबीच रोली से या अष्टगंध से ह्रीं बनाएं |अब उस पर दिव्यगुटिका स्थापित करें |दिव्य गुटिका के पीछे दुर्गा जी का चित्र स्थापित करें |अब दुर्गा जी का और दिव्य गुटिका का पूजन यथाशक्ति करें और जल ,अक्षत ,लाल फूल ,धुप -दीप ,प्रसाद चढ़ाएं ,असली पिला पारायुक्त सिन्दूर गुटिका के अन्दर चढ़ाएं |पान बीड़ा ,लौंग ,इलायची और एक सिक्का अर्पित करें |अब मंत्र सिद्ध चैतन्य रुद्राक्ष माला से उपरोक्त मंत्र का जप निश्चित संख्या में करें [जो आपने रोज के लिए निर्धारित की है ]|इस प्रकार रोज करते हुए सवा लाख जप पूर्ण हो जाने पर कम से कम २५०० हवन अवश्य करें |इस प्रकार यह अनुष्ठान पूर्ण होता है |अब चांदी की तश्तरी समेत दिव्य गुटिका अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और रुद्राक्ष माला गले में धारण करें |गुटिका के बाहर चढ़ाए गए लौंग ,इलायची को उठाकर सुरक्षित रख ले यह किसी भी अभिचार ,पीड़ा ,बाधा के निवारण में मदद करेगा ,पीड़ित को खिलाने पर अथवा बाजू में बाँध देने पर |अन्य शेष सामग्री को बहते जल या तालाब ,कुएं में प्रवाहित कर दें |इस गुटिका पर सिन्दूर अर्पित करते रहें और प्रतिदिन इसकी पूजा सामान्य रूप से करते रहें |संभव हो तो एक -दो माला भी रोज करें |इस प्रयोग को संपन्न करने पर भूत-प्रेत ,वायव्य बाधा ,अभिचार ,किया कराया दूर होगा ,सब प्रकार उन्नति होगी ,शत्रु पराजित होंगे |घर के अनेक दोष समाप्त होंगे |जहाँ भी रखा जाएगा गुटिका वहां के बंधन समाप्त हो जायेंगे |आगे होने वाले अभिचार काम नहीं करेंगे |गुटिका पर चढ़ाए सिन्दूर का तिलक करने पर आकर्षण शक्ति बढ़ेगी ,लोग प्रभावित होंगे ,सब प्रकार से सुरक्षा प्राप्त होगी |लोग वशीभूत होंगे |................................................................हर-हर महादेव
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=============प्रचंडा चामुंडा साधना ==============
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जैसा की हमने अपने दिव्य गुटिका अथवा चमत्कारी डिब्बी धारक पेज के पाठकों को सूचित किया था की जो गुटिका उन्होंने कभी भी हमसे किसी भी अन्य उद्देश्य से ली हो वे उस उद्देश्य के साथ -साथ उस दिव्य गुटिका पर अनेक प्रयोग अपनी आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं और हम क्रमशः उनकी विधि प्रस्तुत करते रहेंगे |हम विशेष रूप से प्रयोग किये जाने वाले कुछ प्रयोगों के क्रम में नकारात्मक ऊर्जा ,भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाएं ,तांत्रिक अभिचार ,अनावश्यक वशीकरण ,उच्चाटन ,विद्वेषण आदि की क्रियाओं को हटाने का प्रयोग प्रदान कर रहे हैं |जिन धारकों को लगता हो की उनके ऊपर अथवा उनके दूकान ,व्यवसाय ,घर-परिवार पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है ,किसी ने कुछ किया -कराया किया हुआ है या अभिचार किया है ,या व्यवसाय -दूकान बाँध दिया है ,या उन्नति रोक दी है ,या अपने आप किसी वायव्य आत्मा परेशान कर रही है ,किसी बच्चे -स्त्री को कोई पीड़ा पहुंचा रहा हो ,घर-परिवार में अनावश्यक बीमारी -दुर्घटना -कष्ट का वातावरण बन रहा हो तो वह धारक इस प्रयोग को किसी शनिवार अथवा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्री शुरू कर निश्चित दिनों तक क्रिया प्रयोग कर लाभान्वित हो सकते हैं |
सामग्री
---------- मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठायुक्त दुर्लभ दिव्य गुटिका [चमत्कारी डिब्बी ],लाल रंग का वस्त्र ,इत्र ,लकड़ी की चौकी या बाजोट ,चांदी की तश्तरी [ न मिले तो पीतल ], असली सिन्दूर ,लौंग ,इलायची ,लाल फूल ,पान बीड़ा ,फल फूल ,प्रसाद चढाने को दूध की लाल मिठाई ,चावल ,सिक्का ,रुई ,देशी घी का दीपक |
माला
-------- मंत्र सिद्ध चैतन्य रुद्राक्ष माला
आसन
-------- लाल उनी आसन
वस्त्र
------- लाल रंग की धोती
दिशा
------- पूर्व दिशा
दिन
------ होली की रात्री अथवा शुभ मुहुर्तयुक्त मंगलवार अथवा नवरात्र अथवा शनिवार अथवा कृष्ण चतुर्दशी |
समय
------- रात्री दस बजे
जप संख्या अवधि
---------------------- १२५००० [सवा लाख ]अपनी सुविधानुसार रोज की जप संख्या निश्चित कर दिन की अवधि निश्चित कर लें |प्रतिदिन जप संख्या समान हो और सवा लाख जप २१ ,३१ ,४१ अथवा ५१ दिनों में संपन्न हो |इस अवधि में पूर्ण सात्विकता ,ब्रह्मचर्य पालन आवश्यक |
मंत्र
------- || ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये बिचै ||
विधि
-------- नवरात्र में अथवा शुभ मुहुर्त्युक्त मंगलवार को अथवा होली की रात्री अथवा कृष्ण चतुर्दशी अथवा किसी शनिवार को स्नानादि से निवृत्त हो शुद्ध हो लाल धोती धारण कर लाल उनी आसन पर पूर्व की और मुख कर अपने सामने लकड़ी के बाजोट या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं |उस पर बीचोबीच रोली से अष्टदल कमल बनाएं फिर उस पर चांदी की तश्तरी स्थापित करें और तश्तरी के बीचोबीच रोली से या अष्टगंध से ह्रीं बनाएं |अब उस पर दिव्यगुटिका स्थापित करें |दिव्य गुटिका के पीछे दुर्गा जी का चित्र स्थापित करें |अब दुर्गा जी का और दिव्य गुटिका का पूजन यथाशक्ति करें और जल ,अक्षत ,लाल फूल ,धुप -दीप ,प्रसाद चढ़ाएं ,असली पिला पारायुक्त सिन्दूर गुटिका के अन्दर चढ़ाएं |पान बीड़ा ,लौंग ,इलायची और एक सिक्का अर्पित करें |अब मंत्र सिद्ध चैतन्य रुद्राक्ष माला से उपरोक्त मंत्र का जप निश्चित संख्या में करें [जो आपने रोज के लिए निर्धारित की है ]|इस प्रकार रोज करते हुए सवा लाख जप पूर्ण हो जाने पर कम से कम २५०० हवन अवश्य करें |इस प्रकार यह अनुष्ठान पूर्ण होता है |अब चांदी की तश्तरी समेत दिव्य गुटिका अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और रुद्राक्ष माला गले में धारण करें |गुटिका के बाहर चढ़ाए गए लौंग ,इलायची को उठाकर सुरक्षित रख ले यह किसी भी अभिचार ,पीड़ा ,बाधा के निवारण में मदद करेगा ,पीड़ित को खिलाने पर अथवा बाजू में बाँध देने पर |अन्य शेष सामग्री को बहते जल या तालाब ,कुएं में प्रवाहित कर दें |इस गुटिका पर सिन्दूर अर्पित करते रहें और प्रतिदिन इसकी पूजा सामान्य रूप से करते रहें |संभव हो तो एक -दो माला भी रोज करें |इस प्रयोग को संपन्न करने पर भूत-प्रेत ,वायव्य बाधा ,अभिचार ,किया कराया दूर होगा ,सब प्रकार उन्नति होगी ,शत्रु पराजित होंगे |घर के अनेक दोष समाप्त होंगे |जहाँ भी रखा जाएगा गुटिका वहां के बंधन समाप्त हो जायेंगे |आगे होने वाले अभिचार काम नहीं करेंगे |गुटिका पर चढ़ाए सिन्दूर का तिलक करने पर आकर्षण शक्ति बढ़ेगी ,लोग प्रभावित होंगे ,सब प्रकार से सुरक्षा प्राप्त होगी |लोग वशीभूत होंगे |................................................................हर-हर महादेव