:::::::::महाकाली साधना [जिन्हें
गुरु न मिलें ]::::::::::
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महाकाली
प्रकृति की आदि शक्ति ,प्रकृति और पुरुष
की प्रकृति ,परम शक्ति और शिव की अर्धांगिनी ,महाविद्याओं में प्रथम महाविद्या ,सर्व
मंगला ,सर्व ममतामयी माँ ,सर्व रक्षक और सर्व विनाशक ,जिनसे प्रकृति सृष्टि शुरू
होती है और जिनमे ही उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है ,,उस परम शक्ति माँ काली की
साधना सामान्यतया बिना गुरु के नहीं होती ,क्योकि यह प्रकृति की उग्रता और तामसिक
गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं ,इनका अवतरण होने पर इनकी शक्ति साधक संभल नहीं
पाता जिससे वह भय ग्रस्त हो जाता है अथवा उसका ऊर्जा तंत्र इस शक्ति को न संभाल
पाने से ध्वस्त हो सकता है ,इसलिए गुरु की अति आवश्यकता होती है |
आज के समय में सर्व सामान्य हेतु
वास्तविक गुरु मिलना दुरूह है ,इसका कारण सर्व सामान्य में गुरु के प्रति श्रद्धा-विश्वास की कमी ,अति तर्क शीलता आदि तो है ही
,वास्तविक साधक लोगो से दूर भी रहना चाहता है और उसे सामाजिक रूप से किसी में रूचि
नहीं होती ,अतः गुरु बहुत मुश्किल से ही लोगों को मिल पता है ,,जबकि समस्याएं सभी
के पास भिन्न भिन्न प्रकार की है ,यदि सुरक्षा ,वायव्य बाधा ,शत्रु ,अमंगल ,मारकेश
,पित्र दोष ,मुदादमा-विवाद ,कलह,कष्ट ,रोग ,ग्रह बाधा ,तांत्रिक अभिचार ,परिक्षा,प्रतियोगिता आदि विभिन्न प्रकार की समस्या हो तो
माँ काली की साधना-आराधना अत्यंत
लाभ प्रद होती है और निश्चित लाभ देती है ,स्त्रियों के लिए तो विशेष रूप से इनकी
साधना लाभप्रद होती है क्योकि उनकी अधिकतर समस्याएं इनसे ही जुडी होती है |यदि
गुरु मिल जाएँ तो गुरु मंत्र ले उनके मार्गदर्शन में साधना करना अति उत्तम होता है
|
यदि गुरु न मिलें तो माँ काली की
साधना उनके सहस्त्रनाम और कवच के पाठ के साथ की जा सकती है ,सावधानी के साथ ,धीरे-धीरे लाभ होने लगता है और मनोकामनाएं पूर्ण होने
लगती हैं ,वह शक्ति क्रमशः प्राप्त होने लगती है की मंत्र जप साधना में प्रवेश
किया जा सके ,समस्याएं और संकल्पित ईच्छाएं तो इस साधना से ही पूर्ण होने लगती है
,यह पाठ व्यक्ति की किले के समान सुरक्षा करता है,एकाग्रता बढने पर भगवती की शक्ति
के आभास होने लगते हैं और व्यक्ति को विभिन्न लाभ प्राप्त होने लगते हैं ,उसकी
समस्याएं समाप्त होने लगती हैं
,,,,सहस्त्रनाम की लिखित प्रति के लिए किसी अच्छी पुस्तक की मदद ली जा सकती
है |
इस पाठ को किसी कृष्ण पक्ष की प्रथम
तिथि से ,चतुर्दशी से अथवा शनिवार से प्रारम्भ किया जा सकता है |जहां पाठ करना हो
,जहाँ आपको सुविधा हो ,पूजा घर हो तो और अच्छा है अन्यथा किसी एकांत कमरे में अथवा
अपने कमरे में यह किया जा सकता है काली जी की एक अच्छा सा चित्र प्राप्त करें ,उसे
एक चौकी[बाजोट]पर लाल कपडे पर स्थापित करें ,उसके सामने काले
अक्षत से अगर काली यन्त्र लाल कपडे पर बना सकें तो और भी अच्छा है ,प्रथम दिन
विधिवत संकल्प लें और भगवती का पूजन करें [पूजा में समस्या हेतु किसी जानकार की
मदद ली जा सकती है ]और कवच पाठ करें ,तत्पश्चात सहस्त्रनाम का पाठ करें |अब मुख्य
सहस्त्रनाम साधना रात्री में होती है ,प्रतिदिन सहस्त्रनाम का पाठ रात्री १० बजे
के बाद करें ,जबकि आप सभी प्रकार के कार्यों से मुक्त हो चुके हो और निश्चिन्त हों
|काली का समय रात्री १० बजे से ३ बजे तक का माना जाता है |रात्री में स्नान कर
केवल एक सूती वस्त्र जो सिला हुआ न हो लाल अथवा काले रंग का हो धारण करें ,ठंडक हो
तो एक शाल अथवा कम्बल का प्रयोग कर सकते हैं,कोई भी अधोवस्त्र न पहनें ,बाल खोलकर
बिखेर लें |एकांत स्थान में ऊनि आसन पर बैठें ,सामने काली जी की फोटो स्थापित करे
,अगर बत्ती और घी का दीपक जलाएं और देवी को दिखाकर उनके सामने रख दें ,अब जल हाथ
में लेकर अपने चारो तरफ छिडकते हुए देवी से प्रार्थना करें की वह आपकी सुरक्षा
करें ,अब विनियोग,न्यास आदि करें
[पूजा पद्धति किसी योग्य से पहले समझ लें ]फिर सहस्त्रनाम का पाठ करें ,अंत में जल
समर्पित कर भगवती को सहस्त्रनाम का पाठ समर्पित करें ,तत्पश्चात आरती कर अपनी
गलतियों हेतु क्षमा मांगे |
,,प्रथम कुछ दिनों तक जब तक की पाठ
आपको ठीक से याद नहीं हो जाता एक बार पाठ करें ,फिर याद हो जाने पर पाठ संख्या तीन
बार कर दें ,किन्तु जो करें संकल्प के साथ करें अर्थात पहले कुछ दिनों के लिए एक
पाठ का संकल्प लें फिर याद हो जाने और निरंतरता आ जाने पर और एक पाठ का संकल्प
पूरा हो जाने पर तीन पाठ का संकल्प लेकर करें ,संकल्प में पाठ संख्या और दिन
निश्चित रखें , निश्चित समय पर पाठ करने की कोसिस करें ,,पाठ करते समय शब्दों पर
विशेष ध्यान रखें ,त्रुटी न हो ,और पाठ के समय उनके अर्थ पर ध्यान देते रहे ,सफलता
शीघ्र मिलती है |शुरू के कुछ दिनों तक भय भी लग सकता है ,कभी घर में या व्यक्ति
में नकारात्मक उर्जा का प्रभाव होने पर भी बाधा उत्पन्न हो सकती है ,क्योकि यह पाठ
नकारात्मक उर्जाओं को परेशान करती है ,,कभी लग सकता है की आसपास कोई और भी है अथवा
आगे पीछे आभास हो सकता है ,,यदि ऐसा लगे या भय लगे तो सिन्दूर-कपूर-लौंग को एक में पीस लें और भगवती को समर्पित कर उसका अपने आसन के चारो और
घेरा बना दे ,नकारात्मक उर्जा घेरे में प्रवेश नहीं करेगी और सुरक्षा रहेगी ,किसी
अच्छे साधक से काली यन्त्र बनवाकर धारण करना सुरक्षा के साथ सफ़लता भी बढ़ा देता है
,,शुरू के कुछ दिनों तक किसी अन्य परिवार के सदस्य को कमरे में बैठाया जा सकता है
जिससे डर न लगे ,सामान्य रूप से काली की पूजा एकांत में ही होती है |इस पाठ को
करते रहने से कुछ ही दिनों में आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होने लगती हैं और एक सुरक्षा
चक्र आपके आसपास बन जाता है ,
............................................हर-हर महादेव
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